Chakke Tale-Hard Cover

Author: Hermann Hesse
Translator: Mahesh Dutt
Special Price ₹106.25 Regular Price ₹125.00
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ISBN:9788171195350
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9788171195350

यह ज़रूरी नहीं कि विधिवत् स्कूली शिक्षा प्राप्त करनेवाले छात्र ही महान बनते हैं। सच तो यह है कि जिनसे स्कूली अध्यापक घृणा करते हैं, सज़ा देते हैं, जो झगड़ालू कहे जाते हैं, भगाए जाते हैं, अक्सर वही लोग बाद में अपने सुकृत्यों से महान बन जाते हैं। और फिर अगली पीढ़ी के स्कूली अध्यापक छात्रों के सामने इन्हीं लोगों को अनुकरणीय उदाहरण के रूप में पेश करते हैं।

प्रस्तुत उपन्यास में जहाँ वर्तमान शिक्षा-पद्धति और उसके चलते विद्यार्थियों में व्याप्त तनाव को रेखांकित किया गया है, वही एक युवक की ऐसी मार्मिक कथा है जो परिवार, समाज और व्यवस्था की अपेक्षाओं के चक्के तले दबकर दम तोड़ देता है। सुविख्यात जर्मन लेखक हेरमन हेस्से का बहुचर्चित मार्मिक उपन्यास है ‘चक्के तले’।

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Language English
Format Hard Back, Paper Back
Isbn 10 8171195350
Publication Year 1997
Edition Year 2000, Ed. 2nd
Pages 159p
Price ₹125.00
Translator Mahesh Dutt
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Hermann Hesse

हरमन हेस्से

जन्म : 2 जुलाई, 1877 को दक्षिण जर्मनी के काल्व क़स्बे में।

1889 : कविताएँ लिखना आरम्भ। 1891 : जुलाई में लांडेसएक्ज़ामेन पास कर प्रसिद्ध लूथरियन सेमिनार में पादरी बनने के उद्देश्य से अध्ययन के लिए प्रवेश। 1892 : 7 मार्च को हेस्से सेमिनरी से इस दृढ़ निश्चय के साथ भाग गए कि ‘या तो कवि बनूँगा या फिर कुछ भी नहीं बनूँगा।’ 1893 : 8 जुलाई को हेस्से ने हाईस्कूल पास करने के बाद स्कूल से सदा के लिए विदा ली और पुस्तक-विक्रेता बने।

गहन चिन्तन, पठन और मनन में संलग्न हुए। जर्मन सैन्यवाद के विरोध में स्विस नागरिकता लेकर मोंटाग्नोला (स्विट्जरलैंड) में बसे। नात्सी घृणा के शिकार बने। 1946 में साहित्य के ‘नोबल पुरस्कार’ से सम्मानित।

9 अगस्त, 1962 को देहावसान।

प्रमुख कृतियाँ : ‘पेटर कामनजिंड्’, ‘गेरट्रूड’, ‘डेमिआन’, ‘सिद्धार्थ’, ‘डेयर श्टेपनवोल्फ़’, ‘नार्त्सिस उंट गोल्डमुंड’ और ‘ग्लासपेर्लेनश्पील’।

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