Hermann Hesse
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हरमन हेस्से
जन्म : 2 जुलाई, 1877 को दक्षिण जर्मनी के काल्व क़स्बे में।
1889 : कविताएँ लिखना आरम्भ। 1891 : जुलाई में लांडेसएक्ज़ामेन पास कर प्रसिद्ध लूथरियन सेमिनार में पादरी बनने के उद्देश्य से अध्ययन के लिए प्रवेश। 1892 : 7 मार्च को हेस्से सेमिनरी से इस दृढ़ निश्चय के साथ भाग गए कि ‘या तो कवि बनूँगा या फिर कुछ भी नहीं बनूँगा।’ 1893 : 8 जुलाई को हेस्से ने हाईस्कूल पास करने के बाद स्कूल से सदा के लिए विदा ली और पुस्तक-विक्रेता बने।
गहन चिन्तन, पठन और मनन में संलग्न हुए। जर्मन सैन्यवाद के विरोध में स्विस नागरिकता लेकर मोंटाग्नोला (स्विट्जरलैंड) में बसे। नात्सी घृणा के शिकार बने। 1946 में साहित्य के ‘नोबल पुरस्कार’ से सम्मानित।
9 अगस्त, 1962 को देहावसान।
प्रमुख कृतियाँ : ‘पेटर कामनजिंड्’, ‘गेरट्रूड’, ‘डेमिआन’, ‘सिद्धार्थ’, ‘डेयर श्टेपनवोल्फ़’, ‘नार्त्सिस उंट गोल्डमुंड’ और ‘ग्लासपेर्लेनश्पील’।