Bharat Ke Gaon-Hard Cover

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ISBN:9788126700257
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भारत, ब्रिटेन और अमेरिका के प्रमुख समाजशास्त्रियों द्वारा लिखे गए निबन्धों के इस संग्रह में भारत के चुनिन्दा गाँवों और उनमें हो रहे सामाजिक–सांस्कृतिक परिवर्तनों के विवरण प्रस्तुत हैं। हर निबन्ध एक क्षेत्र के एक ही गाँव या गाँवों के समूह के गहन अध्ययन का परिणाम है। यह निबन्ध एक विस्तृत क्षेत्र का लेखा–जोखा प्रस्तुत करते हैं, उत्तर में हिमाचल प्रदेश से लेकर दक्षिण में तंजौर तक और पश्चिम में राजस्थान से लेकर पूर्व में बंगाल तक।

सर्वेक्षित गाँव सामुदायिक जीवन के विविध प्रारूप प्रस्तुत करते हैं, लेकिन इस विविधता में ही कहीं उस एकता का सूत्र गुँथा है जो भारतीय ग्रामीण दृश्य का लक्षण है। निबन्धों में गहरी धँसी जाति व्यवस्था और गाँव की एकता का प्रश्न हाल के वर्षों में बढ़े औद्योगिकीरण और शहरीकरण के ग्रामीण विकास के लिए सरकारी योजनाओं और शिक्षा के प्रभाव से जुड़े कुछ ऐसे पक्ष हैं जिनकी विद्वत्तापूर्ण पड़ताल हुई है। आज भी, भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी 80 प्रतिशत जनसंख्या उसके पाँच लाख गाँवों में रहती है, और उन्हें बदल पाने के लिए उनके जीवन की स्थितियों की जानकारी ज़रूरी है। ‘भारत के गाँव’ जिज्ञासु सामान्य जन और ग्रामीण भारत को जाननेवाले विशेषज्ञों के लिए ग्रामीण भारत का परिचय उपलब्ध कराती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2019, Ed. 4th
Pages 179p
Price ₹495.00
Translator Madhu B. Joshi
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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M.N. Shrinivas

Author: M.N. Shrinivas

एम.एन. श्रीनिवास
एम.एन. श्रीनिवास इंस्टीट्यूट फ़ॉर सोशल एंड इकॉनॉमिक चेंज, बंगलोर की समाजशास्त्र इकाई के सीनियर फ़ेलो और प्रमुख थे। वे ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में (1948-51) भारतीय समाजशास्त्र के व्याख्याता, एम.एस. विश्वविद्यालय, बड़ौदा में (1952-59) और दिल्ली विश्वविद्यालय में (1952-72) समाजशास्त्र के प्रोफ़ेसर रहे।
1953-54 में वह मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के साइमन सीनियर रिसर्च फ़ेलो और 1956-57 में ब्रिटेन और अमेरिका में रॉक फ़ैलर फ़ेलो रहे। वे पहले भारतीय हैं जिन्हें रॉयल एन्थ्रॉपॉलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड की मानद फ़ेलोशिप मिली। इसके अलावा, 1963 में लेखक कुछ समय के लिए बर्कले, कैलिफ़ोर्निया में टैगोर लैक्चरर और डिपार्टमेंट ऑफ़ सोशल एन्थ्रॉपॉलॉजी एंड सोशियोलॉजी के साइमन विजि़टिंग प्रोफ़ेसर रहे।
प्रकाशन : ‘मैरिज एंड फ़ैमिली इन मैसूर’, ‘रिलिजन एंड सोसाइटी अमंग द कुर्ग्‍स ऑफ़ साउथ इंडिया’, ‘कास्ट्स इन मॉडर्न इंडिया एंड अदर एसेज’, ‘द रेमेम्बेरेड विलेज’, इंडियन सोसाइटी थ्रू पर्सनल राइटिंग्स’, ‘विलेज, कास्ट, जेन्डर एंड मेथॅड’, ‘सोशल चेंज इन मॉडर्न इंडिया’, ‘द डोमिनेंट कास्ट एंड अदर एसेज’ ‘डाइमेंशन्स ऑफ़ सोशल चेंज इन इंडिया’ आदि।
सम्मान : रॉयल एन्थ्रॉपॉलॉजिकल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ग्रेट ब्रिटेन एंड आयरलैंड का ‘रिवर्स मेमोरियल मेडल’ (1955), भारतीय नृतत्त्वशास्त्र में योगदान के लिए ‘शरतचन्द्र रॉय मेमोरियल गोल्ड मेडल’ (1958) और ‘जी.एस. धुर्वे अवार्ड’ (1978)। शिकागो विश्वविद्यालय और मैसूर विश्वविद्यालय की मानद उपाधियाँ प्राप्‍त। भारत सरकार द्वारा 1977 में ‘पद्मभूषण’ से सम्‍मानित।
निधन : 30 नवम्बर, 1999

 

 

 

 

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