23 Hindi Kahaniyan-Hard Back

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9788180315787
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प्रस्तुत पुस्तक '23 हिन्दी कहानियाँ' में हिन्दी जगत के श्रेष्ठतम साहित्यकारों की तेईस श्रेष्ठ कहानियाँ संग्रहीत हैं। कहानीकारों ने अपनी कहानियों के माध्यम से समाज को जगाने की कोशिश की है। कथ्य में कथानक से अधिक मर्मस्थितियों के चित्रण और मानसिक उद्‌घाटन पर बल दिया गया है। जीवन के आरम्भ से आज तक कहानी का एक ही उद्देश्य रहा है, जीवन के उपकरणों द्वारा अपने को व्यक्त करना। और जहाँ तक रूपों का प्रश्न है, वह कहानी कहनेवाले या लिखनेवाले पर निर्भर है। हर व्यक्ति अपने आपमें अपवाद है। उसके व्यक्तित्व की अभिव्यक्ति के रूप में उसकी कहानी की विशिष्टताएँ भी होती हैं। न हों, तो कहानी क्या? जो सर्वसामान्य को प्राप्त है; उसे देने का प्रयोजन नहीं रहता। इसीलिए हर कहानीकार का निजी वैशिष्ट्य ही उसकी कहानी के आकर्षण की रचना करता है।

आशा है सामाजिक परिवेश के वातावरण की कहानियाँ पाठकों के लिए संग्रहणीय होंगी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 264P
Price ₹225.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 19 X 12 X 1.5
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Jainedra Kumar

Author: Jainedra Kumar

जैनेन्द्र कुमार

जन्म : 2 जनवरी, 1905; कौड़ियागंज, ज़िला—अलीगढ़।

शिक्षा : उनके मामा ने हस्तिनापुर में एक गुरुकुल की स्थापना की थी, वहीं जैनेन्द्र की प्रारम्भिक शिक्षा-दीक्षा हुई। सन् 1912 में उन्होंने गुरुकुल छोड़ दिया। प्राइवेट रूप से मैट्रिक परीक्षा में बैठने की तैयारी के लिए वह बिजनौर आ गए। 1919 में उन्होंने यह परीक्षा बिजनौर से न देकर पंजाब से उत्तीर्ण की। जैनेन्द्र की उच्च शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में हुई।

सन् 1921 से 23 के बीच जैनेन्द्र ने अपनी माता की सहायता से व्यापार किया, जिसमें इन्हें सफलता भी मिली। परन्तु सन् 23 में वे नागपुर चले गए और वहाँ राजनीतिक पत्रों में संवाददाता के रूप में कार्य करने लगे। जीविका की खोज में वे कलकत्ता भी गए, लेकिन वहाँ से भी उन्हें निराश होकर लौटना पड़ा। इसके बाद उन्होंने लेखन कार्य आरम्भ किया।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘परख’, ‘सुनीता’, ‘त्यागपत्र’, ‘कल्याणी’, ‘विवर्त’, ‘सुखदा’, ‘व्यतीत’, ‘जयवर्धन’ (उपन्‍यास); ‘फाँसी’, ‘वातायन’, ‘नीलम देश की राजकन्या’, ‘एक रात’, ‘दो चिड़ियाँ’, ‘पाजेब’, ‘जयसन्धि’, ‘जैनेन्द्र की कहानियाँ’ (सात भाग) (कहानी-संग्रह); ‘प्रस्तुत प्रश्न’, ‘जड़ की बात’, ‘पूर्वोदय’, ‘साहित्य का श्रेय और प्रेय’, ‘मंथन’, ‘सोच-विचार’, ‘काम, प्रेम और परिवार’, ‘ये और वे’ (निबन्ध-संग्रह); ‘मन्दालिनी’, ‘प्रेम में भगवान’, ‘पाप और प्रकाश’ (अनुवाद); ‘साहित्‍य चयन’, ‘विचार वल्‍लरी’ (सम्‍पादन)।

सम्‍मान : ‘साहित्‍य अकादेमी पुरस्‍कार’, ‘पद्मभूषण’ आदि से सम्‍मानित।

निधन : 24 दिसम्‍बर, 1988

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