Yves Ke Naam Patra

Author: Pierre Berge
Translator: Anamika Singh
Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Yves Ke Naam Patra
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पियर बेरजे फ़्रांस के प्रसिद्ध उद्योगपति थे और कला, फ़ैशन तथा अन्य सामाजिक-राजनीतिक कार्यों के प्रोत्साहन के लिए अपने संसाधनों का प्रयोग करते थे। ईव सांलौरां (1 अगस्त, 1936—1 जून, 2008) के साथ मिलकर उन्होंने एक फ़ैशन-लेबल की स्थापना की। ईव बीसवीं सदी के अग्रणी फ़ैशन डिजाइनरों में गिने जाते हैं और माना जाता है कि उन्होंने फ़ैशन उद्योग को ही नहीं, फ़ैशन कला को भी एक नई दिशा दी। रेडी-टू-वियर परिधानों की ईजाद का श्रेय उन्हें ही जाता है।

यह पुस्तक इन दोनों के प्रेम की मार्मिक दास्तान है। ईव की मृत्यु ब्रेन कैंसर से हुई थी और उससे पहले उनका कलाकार-मन अपने व्यक्ति-सत्य और आन्तरिक सुख की तलाश में कुछ ख़तरनाक रास्तों पर भी भटका था। पियर बेरजे से ईव की मुलाक़ात 1958 में हुई थी और पहली ही निगाह में बेरजे उनसे आत्मा की गहराइयों से प्यार करने लगे थे। बीच में वे अलग भी हुए लेकिन जो रिश्ता बेरजे के हृदय की शिराओं में बिंध चुका था, उसे उन्होंने न सिर्फ़ ईव के जीवन के अन्त तक बल्कि अपने जीवन के अन्त तक निभाया।

पत्र-शैली में लिखी इस किताब के पत्र बेरजे ने ईव के निधन के उपरान्त लिखने शुरू किए। गहन शोक और अन्तरंगता के हृदय-द्रावक उद्गारों से सम्पन्न इन पत्रों में हम प्रेम के हर उस रंग को देख सकते हैं जो किसी भी सच्चे प्रेम में सम्भव है और ज़ाहिर है, उनकी जीवन-कथा के सूत्र तो इसमें शामिल हैं ही। साथ ही फ़ैशन के इतिहास के कुछ महत्त्वपूर्ण क्षणों से भी हमारा साक्षात्कार यहाँ होता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 112p
Translator Anamika Singh
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20.5 X 13.5 X 1.5
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Author: Pierre Berge

पियर बेरजे

पियर बेरजे (14 नवम्बर, 1930-8 सितम्बर, 2017) फ़्रांस के विख्यात उद्योगपति एवं कला-संरक्षक। उनकी माता एक प्रगतिशील अध्यापिका थीं और पिता टैक्स-ऑफ़िस में कर्मचारी। शुरुआती शिक्षा के बाद उन्होंने घर छोड़ दिया और पेरिस आ गए जहाँ उनकी मुलाक़ात ज्यां पॉल सार्त्र और अल्बेयर काम्यू जैसे लेखकों से हुई।

बेरजे को सामाजिक सोच के लिहाज़ से उदारवादी लेकिन अपने राजनीतिक झुकाव के लिहाज़ से पुरातनपंथी माना जाता है। 1988 में उन्होंने ‘ग्लोब’ नाम से एक फ़ैशन-पत्रिका शुरू की जिसने राष्ट्रपति-चुनावों में फ्रंसवा मीत्रों का समर्थन किया था। ओपेरा के लिए बेरजे के प्रेम को देखते हुए मीत्रों ने उन्हें ओपेरा बेस्टिले का अध्यक्ष बनाया। इस पद पर उन्होंने 1994 तक काम किया। वे उन्नीसवीं और बीसवीं सदी के संगीत के संग्रहालय मेडियाथेक मुजिकेल माह्लर के अध्यक्ष भी रहे। समलैंगिक-अधिकार आन्दोलन को भी उनका समर्थन प्राप्त था। उन्होंने एड्स-विरोधी संगठन एक्ट-अप पेरिस को सहायता दी। फ़्रांस की प्रमुख गे-पत्रिका 'टेटू' और यूरोप के दूसरे बड़े गे-टीवी चैनल 'पिंक टीवी' के स्वामित्व में हिस्सेदार रहे। उन्होंने कुछ संग्रहालयों की स्थापना में भी सहयोग और प्रोत्साहन दिया।

सन् 2010 में उन्होंने ‘लेटर्स अ’ ईव' शीर्षक पुस्तक को प्रकाशित कराया जिसका अंग्रेज़ी अनुवाद 2014 में ‘ईव सांलौरां : ए मोरोक्कन पैशन' शीर्षक से आया। इसी वर्ष ईव के जीवन पर आधारित एक फ़िल्म भी बनी जिसमें पियर बेरजे और ईव सांलौरां की फ्रांसीसी फ़ैशन-उद्योग के विकास में भूमिका और उनके अपने रिश्तों को रेखांकित किया गया।

उद्योगपति और कला-संरक्षक के रूप में उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया।

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