Yaad Kiya Dil Ne

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Yaad Kiya Dil Ne
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हिन्दी फिल्म संगीत का एक दौर ऐसा भी था जब गीतों, गजलों, नज्मों की सम्पदा सुमधुर धुनों और संयत लय-ताल के साथ हमारे जीवन के तकरीबन हर पहलू की जीवन्त व्याख्या की तरह हमारे साथ रहती थी। हर मन की हर बात कहने के लिए कोई-न-कोई गीत निकल आता था, दर्द की, खुशी की, अफसोस की, शोक की हर लहर किसी-न-किसी गीत से जाकर जुड़ जाती थी। आज भी जरूरत के वक़्त वही गीत हमारे काम आते हैं।

और उन गीतों के पीछे थी ऐसे अनेक संगीतकारों की सुर-साधना, अनेक ऐसे गायकों की संगीत-चेतना जिनमें से बहुतों का नाम भी हम आज के धूम-धड़ाके में भूल गए हैं, या जान ही नहीं पाए।

यह किताब उन्हीं नामों की स्वर्ण-तालिका को प्रकाशित करती है। वे संगीत-निर्देशक जिन्होंने हिन्दी फ़िल्म संगीत की जड़ें गूँथी, अपनी धुनों से देश के जन-गण को स्वर दिया, ऐसी लयबद्ध पंक्तियाँ दीं जो कहीं-न-कहीं हर किसी को आपस में जोड़कर देश की सामूहिक संवेदना को आकार देती हैं।

इस पुस्तक के केन्द्र में खास तौर पर उन संगीतकारों का  जीवन और कृतित्व है जिन्होंने फ़िल्म संगीत को एक नई, सुरीली और कलात्मक दिशा दी और फ़िल्म-संगीत के उस दौर को सम्भव किया जिसे आगे चलकर संगीत का ‘स्वर्ण युग’ कहा गया। संगीत की गहरी समझ, शोध और लोकप्रियता के आधार पर यहाँ ऐसे 26 संगीतकारों पर फोकस किया गया है। अपने क्षेत्र के इन युग-प्रवर्तकों के साथ ही यहाँ उन लोगों के काम को भी रेखांकित किया गया है जिन्होंने भारतीय फ़िल्म संगीत के खजाने को समृद्ध करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई और जो आज भी सक्रिय हैं।

फ़िल्म-संगीत के प्रेमी पाठक इस अनूठी पुस्तक को सन्दर्भ ग्रंथ की तरह सहेज सकते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 458p
Translator Yugank Dhir
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 28.5 X 22 X 3.5
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Dr. Trinetra Bajpai

Author: Dr. Trinetra Bajpai

डॉ. त्रिनेत्र बाजपेयी

मुम्बई निवासी डॉ. त्रिनेत्र बाजपेयी रासायनिक प्रौद्योगिकी क्षेत्र में एक जाना माना नाम हैं। उन्होंने 1972 में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से केमिकल इंजीनियरिंग की शिक्षा ली। सॉरबॉन विश्वविद्यालय, फ्रांस से पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर उन्होंने अपने 50 वर्षीय कार्यकाल में विश्व स्तर पर 45 रासायनिक संयंत्रों को सफलतापूर्वक स्थापित किया। वे एटीईसी (ATEC), केएमपीएल (KMPL), एसएटीईएक्स (SATEX), केएटी म्यूजिक (KAT Music), बाजपेयी लिमिटेड कम्पनी ग्रुप के संस्थापक एवं कार्यकारी अध्यक्ष हैं। केएमपीएल (KMPL) टीवी धारावाहिक और फिल्में बनाती है।

स्व. लेख टंडन के निर्देशन में उन्होंने सफल लोकप्रिय टीवी धारावाहिक ‘बिखरी आस निखरी प्रीत’ का निर्माण किया है जो विख्यात संगीतकार ख़य्याम के मोहक संगीत से सुसज्जित है। कम्पनी के तत्त्वावधान में निर्मित ‘फिर उसी मोड़ पर’ चलचित्र 2011 में सिल्वर जुबली मना चुका है, जिसका संगीत त्रिनेत्र बाजपेयी ने ही दिया था। पुरानी हिन्दी फिल्में और उनका कर्णप्रिय संगीत उनके शौक़ हैं। फ़िल्म संगीत का स्वर्ण युग माने जाने वाले 1935 से 1975 के दशकों के  अप्रतिम संगीत और उस सुरीले दौर की बेशुमार यादों की अकूत सम्पदा उनके पास है।

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