Visangati

Edition: 2024, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹590.75 Regular Price ₹695.00
15% Off
In stock
SKU
Visangati
- +
Share:

हमारे आसपास नित्य ऐसी घटनाएँ होती रहती हैं जिनमें अनेक कहानियों के बीज निहित होते हैं, लेकिन हम कभी उन पर ध्यान नहीं देते। लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो ऐसी जगहों में बड़ी कहानियाँ तलाश कर लेते हैं। यह संग्रह ऐसी ही कहानियों से सजा है।

डॉ. जगदीश प्रसाद सिंह की ये कहानियाँ मानव-मन और समाज की ऐसी अनोखी परतों को उघाड़ती हैं कि सहसा विश्वास नहीं होता। मसलन संग्रह की पहली ही कहानी ‘विसंगति’ को लें। इसमें स्वामी गोविन्दानन्द का जीवन कुछ ऐसी घटनाओं का प्रतिबिम्ब है जो भारतीय समाज में बहुत आम रहा है—यानी विपरीत परिस्थितियों के चलते संन्यास ले लेना। माधव वसु को जब पता चलता है कि उसकी पत्नी का उसके छोटे भाई से सम्बन्ध है तो वह घर-बार छोड़ देता है और एक सफल आध्यात्मिक जीवन जीने लगता है। लेकिन फिर एक दिन अतीत एक अलग ही रूप में उसके सामने आ खड़ा होता है।

‘प्रतीम सिंह का ढाबा’, ‘दाँत का दर्द’, ‘राह का काँटा’, ‘भगवती का शाप’, और ‘सरस्वती का भोंपू’ सहित इस संग्रह की सभी कहानियाँ समाज के किसी न किसी पहलू की विडम्बना को सामने लाती है। ये कहानियाँ अपनी सरल कहन के चलते हमें किसी शैल्पिक उलझाव से परे वास्तविकता की एक सहज दुनिया में ले जाती हैं जिसकी तहों के नीचे कई विसंगतियाँ साँस लेती रहती हैं।

 

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2006
Edition Year 2024, Ed. 2nd
Pages 159p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Visangati
Your Rating

Author: Jagdish Prasad Singh

जगदीश प्रसाद सिंह

क़रीब चार दशकों तक अंग्रेज़ी भाषा और साहित्य के प्राध्यापक रहने के बाद कुछ वर्ष पहले सेवानिवृत्त हुए। अपने सेवा-काल के अन्तिम तेरह वर्षों तक ये मगध विश्वविद्यालय, बोधगया (बिहार) के अंग्रेज़ी विभाग के अध्यक्ष रहे।

अंग्रेज़ी में इनकी तीन आलोचनात्मक पुस्तकें और तीन उपन्यास प्रकाशित हैं। हिन्दी में इनके चार उपन्यास और तीन कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top