विचार का आईना शृंखला के अन्तर्गत ऐसे साहित्यकारों, चिन्तकों और राजनेताओं के ‘कला साहित्य संस्कृति’ केन्द्रित चिन्तन को प्रस्तुत किया जा रहा है जिन्होंने भारतीय जनमानस को गहराई से प्रभावित किया। इसके पहले चरण में हम मोहनदास करमचन्द गांधी, रवीन्द्रनाथ ठाकुर, प्रेमचन्द, जयशंकर प्रसाद, जवाहरलाल नेहरू, राममनोहर लोहिया, रामचन्द्र शुक्ल, सूर्यकान्त त्रिपाठी ‘निराला’, महादेवी वर्मा, सच्चिदानन्द हीरानन्द वात्स्यायन ‘अज्ञेय’ और गजानन माधव मुक्तिबोध के विचारपरक लेखन से एक ऐसा मुकम्मल संचयन प्रस्तुत कर रहे हैं जो हर लिहाज से संग्रहणीय है।
छायावाद के आधार स्तम्भों में से एक महादेवी कवि और विमर्शकार दोनों ही रूपों में अद्वितीय हैं। अपनी कविताओं में उन्होंने स्त्री जीवन की मार्मिक विडम्बनाओं को स्वर दिया है तो अपनी चर्चित कृति ‘शृंखला की कड़ियाँ’ में उन्होंने उन अवरोधों की सटीक पहचान की जिन्होंने सदियों से स्त्री को पराधीनता के घेरे में रोक रखा है। स्त्री की अस्मिता की खोज करते हुए अपने पूरे परिवेश के प्रति सहज राग उनके समूचे चिन्तन को उल्लेखनीय विशिष्टता प्रदान करता है। करुणा उनके चिन्तन की धुरी है। हमें उम्मीद है कि उनके कला, साहित्य और संस्कृति सम्बन्धी प्रतिनिधि निबन्धों की यह किताब उन पाठकों के लिए बहुत उपयोगी होगी जो भारतीय स्त्री जीवन की विडम्बनाओं को समझते हुए उसकी मुक्ति के देशज स्रोतों की तलाश में हैं।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Archana Singh |
Publication Year | 2023 |
Edition Year | 2023, Ed. 1st |
Pages | 184p |
Price | ₹695.00 |
Publisher | Lokbharti Prakashan |
Dimensions | 22.5 X 14.5 X 1.5 |