Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Gautam Buddh Nagar

Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Uttar Pradesh Ka Swatantrata Sangram : Gautam Buddh Nagar
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आज जब हम चारों ओर नजरें दौड़ाते हैं तो एक अजीब विडम्बना से साक्षात्कार होता है। हम सब एक ऐसी विदेशी सभ्यता के लिए जिम्मेदारी महसूस करते हैं, जिसने आजादी से पहले के लगभग दो सौ वर्षों में हमारी संस्कृति की लय को बुरी तरह से विकृत कर दिया था।

अंग्रेज विद्वानों ने हमारे शास्त्रों और पुराणों का विश्लेषण किया तो हम शायद अतिरिक्त चौकन्ने होकर ऐसी परम्परा के प्रति सजग हुए, जिसे आज तक हम बिना परिभाषित किये सहज भाव से अपने जीवन में अपनाते रहे थे। शास्त्रों और पुराणों में हमारी जिन्दगी थी। इस तरह के इतिहास के दखल होने से पहले, इस तरह की सामाजिक व्याख्या से पहले भी हमारा अपनी संस्कृति के साथ एक सहज और स्पष्ट लगाव था। वह परिभाषित नहीं था, उसे परिभाषित होने की जरूरत भी नहीं थी, क्योंकि वह हमारी धड़कनों में था। एक भारतीय कभी अपनी संस्कृति को बाहर से नहीं देखता। संस्कृति तो उसके अंदर बसी होती है। अतिरिक्त सजगता तभी उत्पन्न होती है, जब मनुष्य का अपने अतीत और परम्परा से अलगाव हो जाता है। एक भारतीय की परम्परा कहीं बाहर नहीं, उसके भीतर रहती है, इसलिए सजग रूप से उससे स्वयं को जोड़ने का प्रश्न ही उत्पन्न नहीं होता। इसलिए यह पुस्तक गौतम बुद्ध नगर की परम्परा, संस्कृति, स्वाभिमान, सभ्यता और आजादी पर जब कुछ बातों को आपके सामने लाती है तो एक पाठक होने के नाते आप एक सहज लगाव, एक सहज भारतीय बोध स्वाभाविक रूप से महसूस करते हैं। साथ ही, गौतम बुद्ध नगर के स्वाभिमान भरे इतिहास को पढ़ते हुए आपको गर्व का अनुभव होगा। समय की धारा में ठहरे हुए संकेत और सूत्र इस पुस्तक में स्वाभिमान की एक नई कहानी कह रहे हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Dr. Lavkush Dwivedi
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 24.5 X 16.5 X 1.5
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Deo Prakash Chaudhary

Author: Deo Prakash Chaudhary

देव प्रकाश चौधरी

मूलतः चित्रकार, पेशे से पत्रकार।

जन्म झारखंड में गोड्डा जिले के मोतिया गाँव में। बचपन गाँव में, कॉलेज की पढ़ाई बिहार के भागलपुर में। फिर दिल्ली बनी ठिकाना। देश की कई महत्त्वपूर्ण कला प्रदर्शनियों में हिस्सेदारी और पुरस्कृत। कला आलोचना में सक्रिय। महत्त्वपूर्ण समकालीन भारतीय कलाकारों में रामकिंकर बैज, एम.एफ. हुसेन, गणेश पाइन और अर्पणा कौर की कला पर विशेष अध्ययन।

देश-विदेश के प्रकाशन संस्थानों के लिए एक हजार से ज्यादा बुक कवर डिजाइन किये। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से फेलोशिप और दो रिसर्च प्रोजेक्ट। एनएफआई फेलोशिप।

कला पर कई किताबें। बिहार की मंजूषा लोक कला पर लंबे शोध के बाद लिखी किताब ‘लुभाता इतिहास पुकारती कला’ लोककला-प्रेमियों में लोकप्रिय। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे पर भी एक किताब। ओसामा बिन लादेन पर लिखी किताब ‘एक था लादेन’ ने खूब चर्चा पाई। हाल में मशहूर चित्रकार अर्पणा कौर की कला पर आई किताब ‘जिसका मन रंगरेज’ बहुचर्चित।

आकाशवाणी और दूरदर्शन के लिए लगातार नाटक और डॉक्यूमेंटरी फिल्म के लिए लेखन। फीचर फिल्मों के लिए भी लिखा। संथाल संस्कृति पर आधारित फिल्म ‘कपूर मूली के फूल पनघट पर’ के लिए संवाद।

...और नौकरी, कभी प्रिंट मीडिया में तो कभी टीवी मीडिया में... और सफर जारी है।

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