Uttar Bharat Mein Chamar Aur Dalit Aandolan Ka Itihas

Translator: Kanwal Bharti
Edition: 2024
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Uttar Bharat Mein Chamar Aur Dalit Aandolan Ka Itihas
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किताब के बारे में

‘उत्तर भारत में चमार और दलित आन्दोलन का इतिहास’ दलितों के उन संघर्षों का इतिहास है, जो उन्होंने अस्पृश्यता और बेगार-प्रथा के विरुद्ध और अपने राजनीतिक अधिकारों के लिए किए थे और जिनमें वे सफल हुए थे। यह पहली कृति है जिसमें दलितों के सन्दर्भ में औपनिवेशिक काल से लेकर आज़ादी के समय तक की गहरी छानबीन की गई है। इसमें प्रामाणिक तथ्यों के ज़रिये बतलाया गया है कि अधिकतर चमार हमेशा से किसान रहे हैं। लेकिन औपनिवेशिक इतिहासकारों ने उन्हें खालों के लिए मवेशियों को ज़हर देकर मारने वाला गठित अपराधी गिरोह बताया। इस मिथ्या धारणा को नकारने की ज़रूरत राष्ट्रवादी इतिहासकारों ने भी नहीं समझी। दरअसल ब्राह्मणों ने सभी शिल्पकार और किसान जातियों के बारे में ऐसी धारणाएँ गढ़ी थीं जो लगभग प्रत्येक दलित जाति के लिए अस्पृश्यता का कारण बनता है। इनके विरुद्ध दलितों की विभिन्न स्तरों पर प्रतिक्रियाएँ और प्रतिरोध हुए लेकिन यह सब इतिहास में प्रायः अनुल्लिखित रहा, जिन्हें सामने लाकर यह पुस्तक एक ज़रूरी सन्दर्भ मुहैया कराती है।

डॉ. आंबेडकर से भी एक सदी पहले, उत्तर प्रदेश में शुरू हुए चमारों के अस्मिता-आन्दोलन, उन्नीसवीं सदी के दूसरे दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश में शुरू हुए किसान-आन्दोलन में दलितों के प्रतिनिधित्व और तीसरे दशक में चले आदि-हिन्दू महासभा के आन्दोलन पर इसमें विस्तार से विचार किया गया है। आदि-हिन्दू महासभा के आन्दोलन ने राजनीतिक संगठन के लिए सम्पूर्ण दलित जातियों के लिए एक मूल श्रेणी के रूप में ‘अछूत’ पहचान का निर्माण किया, जिसने नया दलित-इतिहास निर्मित किया और वे प्रमुख मुद्दे निर्धारित किए जो बीते आठ दशक से दलित राजनीति को आकार दे रहे हैं। बेशक यह दलित आन्दोलन को उसके मूल परिप्रेक्ष्य में समझने के लिए एक आवश्यक पुस्तक है। पठनीय, विचारणीय और संग्रहणीय!

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024
Pages 328p
Translator Kanwal Bharti
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 21 X 13 X 2
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Ramnarayan S. Rawat

Author: Ramnarayan S. Rawat

रामनारायण एस. रावत

रामनारायण एस. रावत अमेरिका के डेलावेयर विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं। उन्होंने ‘दलित स्टडीज़’ (ड्यूक, 2016) का सह-सम्पादन किया है। उन्हें इंस्टिट्यूट फ़ॉर द एडवांस्ड स्टडी, प्रिंस्टन (2021); अमेरिकन काउंसिल ऑफ़ लर्नेड सोसायटीज़, न्यूयॉर्क (2015); कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय (2014) और अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन स्टडीज़ (शिकागो, 2008) से रिसर्च फ़ेलोशिप मिली। उनकी पहली पुस्तक, ‘रीकॉन्सिडरिंग अनटचैबिलिटी : चमार्स एंड दलित हिस्ट्री इन नॉर्थ इंडिया’ को अमेरिकन इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंडियन स्टडीज़ ने ‘जोसेफ़ डब्ल्यू. एल्डर बुक प्राइज़’ (2009) से पुरस्कृत किया और एसोसिएशन ऑफ़ एशियन स्टडीज़ बर्नार्ड कोहन बुक प्राइज़ (2013) ने ‘ऑनरेबल मेन्शन’ से मान्यता दी। ‘उत्तर भारत में चमार और दलित आन्दोलन का इतिहास’ इसी पुस्तक का अनुवाद है।

सम्पर्क : rawat@udel.edu

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