Tumhen Saunpta Hun

Author: Trilochan
Edition: 2024, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Tumhen Saunpta Hun

पिछले कुछ वर्षों में हिन्दी कविता के परिदृश्य में त्रिलोचन की कविता का महत्त्व असाधारण रूप से बढ़ा है। यह एक दिलचस्प तथ्य है कि इस महत्ता की स्वीकृति में पेशेवर साहित्य मर्मज्ञों और तथाकथित अकादमियों का योगदान न के बराबर रहा है। अगर पिछले कुछ वर्षों की लघु-पत्रिकाएँ उठाकर देखा जाए तो यह स्पष्ट लगेगा कि युवा कवियों ने अपने समय की सांस्कृतिक जड़ता के ख़िलाफ़ त्रिलोचन की रचनाशीलता में एक नई ताज़गी और ऊर्जा का अनुभव किया है, अपने समय की रचनात्मक चुनौतियों से निपटने के लिए उनकी रचनाएँ एक योद्धा के रूप में उनके सामने उभरीं। ‘तुम्हें सौंपता हूँ’ उनकी कविताओं का एक विशिष्ट संग्रह है, जिसमें उनकी सन् 1935 से 83 तक विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कविताएँ शामिल हैं। इतने लम्बे कालक्रम में बिखरी इन कविताओं में आप कवि के रचनात्मक विकास की अनेक मंज़िलों से साक्षात्कार करेंगे। वास्तव में त्रिलोचन की कविताएँ दु:खों और विपदाओं के अपार समुद्र में मानवीय सौन्दर्य, प्रेम, आशा और स्वप्न का एक ऐसा घनीभूत पुंज हैं जो हमारे भीतर जीवन के प्रति अगाध विश्वास जगाता है। छोटी-बड़ी इक्यासी कविताओं का यह संग्रह कवि के व्यक्तित्व के कुछ ऐसे आयामों को भी सामने लाता है, जिनसे हिन्दी जगत प्राय: अपरिचित ही रहा है।

इस संग्रह के शान्ति पर्व वाले खंड में त्रिलोचन के चार काव्य रूपक भी शामिल किए गए हैं जो उन्होंने दूसरे महायुद्ध के नरसंहार की पृष्ठभूमि में लिखे थे। जीवन को विध्वंस की आग में झोंकनेवाली शक्तियों के ख़िलाफ़ त्रिलोचन की कविताएँ किसी गुरिल्ला सैनिक की तरह हमारे भीतर प्रवेश करती हैं। यह उनकी कविताओं का ऐसा प्रतिनिधि संग्रह है जिसमें पूर्व संकलनों की कोई कविता भरसक नहीं आने पाई है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1985
Edition Year 2024, Ed. 3rd
Pages 164p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Tumhen Saunpta Hun
Your Rating
Trilochan

Author: Trilochan

त्रिलोचन

जन्म-तिथि : 20 अगस्त, 1917; गाँव—कटघरापट्टी-चिरानीपट्टी, ज़िला—सुल्तानपुर (उ.प्र.)।

शिक्षा : अरबी-फ़ारसी साहित्य रत्न, शास्त्री, अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. (पूर्वार्द्ध), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

जीविका के लिए बरसों पत्रकारिता और अध्यापन-कार्य। ‘हंस’, ‘कहानी’, ‘वानर , ‘प्रदीप’, ‘चित्ररेखा’, ‘आज’, ‘समाज’ और ‘जनवार्ता’ आदि पत्रिकाओं में सम्पादन-कार्य।

1952-53 में गणेशराय नेशनल इंटर कॉलेज, जौनपुर में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता रहे। 1967-72 के दौरान वाराणसी में विदेशी छात्रों को हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की। उर्दू विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की द्वैभाषिक कोश (उर्दू-हिन्दी) परियोजना में कार्य (1978-84)। ‘मुक्तिबोध सृजनपीठ’, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) के अध्यक्ष रहे।

अनेक पुरस्कारों से सम्मानित, जिनमें प्रमुख हैं : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, हिन्दी अकादमी का ‘शलाका सम्मान’, ‘भवानीप्रसाद मिश्र राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘सुलभ साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘भारतीय भाषा परिषद सम्मान’ (कोलकाता), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘महात्मा गांधी सम्मान’ आदि।

प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह—‘धरती’, ‘गुलाब और बुलबुल’, ‘दिगन्त’, ‘ताप के ताए हुए दिन’, ‘शब्द’, ‘उस जनपद का कवि हूँ’, ‘अरघान’, ‘तुम्हें सौंपता हूँ’, ‘अनकहनी भी कुछ कहनी है’, ‘फूल नाम है एक’, ‘सबका अपना आकाश’, ‘चैती’, ‘अमोला’, ‘मेरा घर’, ‘जीने की कला’; कहानी-संग्रह—‘देशकाल’; डायरी—‘रोजनामचा’; आलोचना—‘काव्य और अर्थबोध’; सम्पादन—‘मुक्तिबोध की कविताएँ’।

अन्य : ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ : सं.—केदारनाथ सिंह; ‘बात मेरी कविता’ (त्रिलोचन की चुनी हुई अपनी कविताएँ); ‘साक्षात् त्रिलोचन’ (लम्बी बातचीत) : दिविक रमेश, कमलाकान्त द्विवेदी; ‘मेरे साक्षात्कार’: सं.—श्याम सुशील; ‘त्रिलोचन के बारे में’ : सं.—गोविन्द प्रसाद; ‘त्रिलोचन संचयिता’ : सं.—ध्रुव शुक्ल।

निधन : 09 दिसम्बर, 2007

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top