Mera Ghar

Author: Trilochan
Edition: 2002, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Mera Ghar

वयोवृद्ध त्रिलोचन इस समय हिन्दी के सम्भवतः सबसे गृहस्थ कवि हैं, इस अर्थ में कि हिन्दी भाषा अपनी जातीय स्मृतियों और असंख्य अन्तर्ध्वनियों के साथ, सचमुच उनका घर है। वे बिरले कवि हैं जिन्हें यह पूरे आत्मविश्वास से कहने का हक़ है कि ‘पृथ्वी मेरा घर है/अपने इस घर को/अच्छी तरह मैं ही नहीं जानता।’ इस घर में हुब्बी, पाँचू, टिक्कुल बाबा आदि सब रसे-बसे हैं। त्रिलोचन की कविता साधारण से साधारण चरित्र या घटना या बिम्ब को पूरे जतन से दर्ज करती है, मानो सब कुछ उनके पास-पड़ोस में है, कि ‘तारे सब सहचर हैं मेरे’।

इस संग्रह में त्रिलोचन की ऐसी कई कविताएँ पहली बार पुस्तकाकार संगृहीत हो रही हैं जो उनके किसी पिछले संग्रह में नहीं आ सकी थीं और इधर-उधर पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई थीं। इस चयन में बिना चीख़-पुकार मचाए, ‘पीड़ा-संग्रह’ है और यह मानने की बेबाकी भी
कि—

‘मुझे अपने मरने का

थोड़ा भी दु:ख नहीं

मेरे मर जाने पर

शब्दों से मेरा सम्बन्ध

छूट जाएगा।’

त्रिलोचन की कुछ अवधी कविताएँ इस संग्रह को ‘घर की बोली’ देती हैं। उनमें न सिर्फ़ ‘भाखा की महिमा’ प्रगट है, पर स्वयं त्रिलोचन का अत्यन्त स्पन्दित भाषा संसार भी—एक बार फिर। —अशोक वाजपेयी

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2002
Edition Year 2002, Ed. 1st
Pages 84p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Mera Ghar
Your Rating
Trilochan

Author: Trilochan

त्रिलोचन

जन्म-तिथि : 20 अगस्त, 1917; गाँव—कटघरापट्टी-चिरानीपट्टी, ज़िला—सुल्तानपुर (उ.प्र.)।

शिक्षा : अरबी-फ़ारसी साहित्य रत्न, शास्त्री, अंग्रेज़ी साहित्य में एम.ए. (पूर्वार्द्ध), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी।

जीविका के लिए बरसों पत्रकारिता और अध्यापन-कार्य। ‘हंस’, ‘कहानी’, ‘वानर , ‘प्रदीप’, ‘चित्ररेखा’, ‘आज’, ‘समाज’ और ‘जनवार्ता’ आदि पत्रिकाओं में सम्पादन-कार्य।

1952-53 में गणेशराय नेशनल इंटर कॉलेज, जौनपुर में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता रहे। 1967-72 के दौरान वाराणसी में विदेशी छात्रों को हिन्दी, संस्कृत और उर्दू की व्यावहारिक शिक्षा प्रदान की। उर्दू विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय की द्वैभाषिक कोश (उर्दू-हिन्दी) परियोजना में कार्य (1978-84)। ‘मुक्तिबोध सृजनपीठ’, डॉ. हरीसिंह गौर विश्वविद्यालय, सागर (म.प्र.) के अध्यक्ष रहे।

अनेक पुरस्कारों से सम्मानित, जिनमें प्रमुख हैं : ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘मैथिलीशरण गुप्त सम्मान’, हिन्दी अकादमी का ‘शलाका सम्मान’, ‘भवानीप्रसाद मिश्र राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘सुलभ साहित्य अकादमी पुरस्कार’, ‘भारतीय भाषा परिषद सम्मान’ (कोलकाता), उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘महात्मा गांधी सम्मान’ आदि।

प्रकाशित कृतियाँ : कविता-संग्रह—‘धरती’, ‘गुलाब और बुलबुल’, ‘दिगन्त’, ‘ताप के ताए हुए दिन’, ‘शब्द’, ‘उस जनपद का कवि हूँ’, ‘अरघान’, ‘तुम्हें सौंपता हूँ’, ‘अनकहनी भी कुछ कहनी है’, ‘फूल नाम है एक’, ‘सबका अपना आकाश’, ‘चैती’, ‘अमोला’, ‘मेरा घर’, ‘जीने की कला’; कहानी-संग्रह—‘देशकाल’; डायरी—‘रोजनामचा’; आलोचना—‘काव्य और अर्थबोध’; सम्पादन—‘मुक्तिबोध की कविताएँ’।

अन्य : ‘प्रतिनिधि कविताएँ’ : सं.—केदारनाथ सिंह; ‘बात मेरी कविता’ (त्रिलोचन की चुनी हुई अपनी कविताएँ); ‘साक्षात् त्रिलोचन’ (लम्बी बातचीत) : दिविक रमेश, कमलाकान्त द्विवेदी; ‘मेरे साक्षात्कार’: सं.—श्याम सुशील; ‘त्रिलोचन के बारे में’ : सं.—गोविन्द प्रसाद; ‘त्रिलोचन संचयिता’ : सं.—ध्रुव शुक्ल।

निधन : 09 दिसम्बर, 2007

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top