Tripur Sundari

Author: R. S. Kelkar
Edition: 2007, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Tripur Sundari
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यह उपन्यास आत्मोपलब्धि को लक्षित एक लम्बी यात्रा की कथा है। यात्रा बाहरी उतनी नहीं जितनी आन्तरिक।

विवेक विवाहित युवक है लेकिन वह चाहता है अध्यात्म की राह से वह चरम उपलब्धि, जहाँ वह उस त्रिपुर सुन्दरी माया के साक्षात् दर्शन कर सके जो सम्पूर्ण स्त्री-शक्ति का एकीकृत पुंज है और अखिल सृष्टि जिसके वात्सल्य की छाँह में विश्राम करती है, फलती-फूलती है।

लेकिन अपने मार्गदर्शक गुरु के आश्रम में वह मिलता है श्यामलता से, जो अपने गार्हस्थ्य जीवन को विडम्बनाओं और अपनी अतुल रूप राशि के बीच कोई सामंजस्य नहीं बिठा पाती और साधना की डगर पर चल पड़ती है। विवेक में उसे अपना पूर्ण पुरुष दिखता है, और विवेक उसमें अपनी त्रिपुर सुन्दरी देखता है। बीच में है विवेक की पत्नी प्रियंवदा और उसका दु:ख।

एक लम्बा द्वन्द्व और अन्त में वह आत्मबोध जो विवेक अर्थात् पुरुष को स्त्री रूप में अपने चहुँओर उपस्थित शक्ति का साक्षात्कार करता है। वह जान लेता है कि नारी पुरुष की वासना-तृप्ति का साधन नहीं है, वह केवल उसकी सिद्धि का माध्यम है, और स्त्री की सिद्धि है सृष्टि का विकास।

विवेक के गुरु, स्वामी जी अन्त में बताते हैं कि संसार में रहो, सभी कर्म प्रभु-स्मृति को जाग्रत रखकर करो। और अपने दृष्टि-क्षेत्र में व्याप्त स्त्री-शक्ति में निहित त्रिपुर सुन्दरी को देखो।

अहं की क्षुद्रता और परम की असीमता के द्वन्द्व को उद्घाटित करनेवाला एक रोचक उपन्यास।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 128p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Author: R. S. Kelkar

र.श. केलकर

जन्म: 1923 महाराष्ट्र

शिक्षा :एम.ए. नागपुर विश्वविद्यालय ,पंजाब विश्वविद्यालय से पी-एच.डी.

साहित्य सेवा :शोध-प्रबंध ‘मराठी और हिंदी का कृष्ण-काव्य ’,‘कुत्ते की दुम’ (व्यंग्य) तथा ‘तुम्हारे साथ’ (कविता-संग्रह) , स्वामी राम : जीवन और दर्शन (जीवनी)के अतिरिक्त उनके पाँच उपन्यास— ‘त्रिमूर्ति’, ‘त्रिपुर सुंदरी’, ‘त्रिनयना’, ‘त्रिरूपा’ और ‘त्रिपथा’ प्रकाशित। ‘त्रिमूर्ति’ मराठी तथा बांग्ला में भी अनूदित। अंग्रेजी में उनके दो ग्रंथ ‘द लाइफ ऑफ ए योगी’ और ‘ए बंच ऑफ रिमिनिसेन्सेज’ प्रकाशित।
देश की अनेक साहित्यिक, सांस्कृतिक संस्थाओं से संबद्ध, साहित्य अकादेमी तथा भारतीय ज्ञानपीठ के सचिव रहे। अध्यात्म, शास्त्र और योग विद्या में गहन रुचि।

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