Tantya

Author: Baba Bhand
Translator: Nishikant Thakar
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Tantya
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टंट्या भील मध्यभारत में उन्नीसवीं सदी के महान आदिवासी जननायक के रूप में जाना जाता है। बचपन तथा युवावस्था में टंट्या को असहनीय यातनाओं से गुज़रना पड़ा। टंट्या की समझ में नहीं आ रहा था कि उसे, उसके परिवार और समाज को बदहाली, अन्याय और शोषण का शिकार क्यों होना पड़ा। धीरे-धीरे वह सोचने लगा, इसी सोच ने उसे अन्याय और शोषण के विरुद्ध संघर्ष की प्रेरणा दी। उसने सामन्ती व्यवस्था तथा उस व्यवस्था की रक्षा करनेवाली ब्रिटिश राजसत्ता को गम्भीर चुनौती दी। दलितों-शोषितों और आम आदमी ख़ासकर सर्वहारा किसानों-मज़दूरों का पक्ष लेकर उन्हें इस महासंग्राम में शामिल करने के लिए टंट्या ने अपनी जान की बाज़ी लगा दी। प्रचलित नीतिमूल्यों को नज़रअन्दाज़ कर गहरे मानवीय मूल्यों पर उसने अपने संघर्ष की नींव रखी। सरकार की नज़र में वह डकैतों का सम्राट था, लेकिन लोकमानस में वह ईश्वरीय अंश धारण करनेवाला जननायक माना गया। वह आज भी लोकमानस में मिथक के रूप में अमर है।

टंट्या जैसे अलौकिक जननायक पर उपन्यास लिखने का प्रयास कठिन कर्म है। टंट्या की जीवनगाथा मिथकों और लोककथाओं में इस क़दर घुल-मिल गई है कि रहस्य तथा चमत्कार को यथार्थ से अलग करना असम्भव-सा था, लेकिन उपन्यासकार ने अपने प्रामाणिक शोध के ज़रिए और रचनात्मकता के सहारे जीवन-चरित्र के यथार्थ को उजागर करने का प्रयास किया है। यह ग़ौरतलब है कि लोकप्रिय या सरलीकृत वर्णन की फिसलन इस उपन्यास में नहीं दिखती। अनावश्यक भावुकता से बचाव, चिन्तनशीलता, संयत भाषिक अभिव्यक्ति, गहन मानवीय अन्तर्दृष्टि, इतिहास और समकालीनता के बीच जटिल अन्तर्सम्बन्धों का अहसास आदि कई विशेषताओं के कारण यह उपन्यास सर्जन के सहारे इतिहास की पुनर्रचना का महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ बन गया है। उपन्यासों के भारतीय परिदृश्य में बाबा भांड की यह कृति निस्सन्देह महत्त्वपूर्ण है तथा प्रो. निशिकान्त ठकार जैसे अनुवादक के हाथों से हुआ इस कृति का अनुवाद पाठकों के लिए मूल्यवान उपलब्धि है।

—प्रो. चन्द्रकान्त पाटील

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2006
Edition Year 2023, Ed. 3rd
Pages 340p
Translator Nishikant Thakar
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
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Baba Bhand

Author: Baba Bhand

बाबा भांड

आपका जन्म 28 जुलाई, 1949 को वडजी, तहसील—पैठण, ज़‍िला—औरंगाबाद, महाराष्ट्र में हुआ। आपने बचपन से स्वयं कमाई कर एम.ए. अंग्रेज़ी तक की पढ़ाई पूरी की। आठवीं कक्षा में बालवीर आन्दोलन में ‘राष्ट्रपति पदक’ मिला। दसवीं में स्काउट-गाइड शिविर के लिए कनाडा-अमेरिका जैसे दस देशों की यात्राएँ कीं। लेखक बनने के इरादे से छठी कक्षा से ही लेखन की शुरुआत। 1975 में पत्नी आशा भांड के सहयोग से ‘धारा’ और बाद में ‘साकेत’ प्रकाशन का आरम्भ। अब तक सैकड़ों किताबों का प्रकाशन।

नौ उपन्यास, दो कहानी-संग्रह, चार यात्रा-वृत्तान्त, चार ललित-गद्य, चार आरोग्य और योग, पाँच अनुवाद, पच्चीस सम्पादन, पन्द्रह बाल-उपन्यास, पच्चीस बालकथा-संग्रह, तीन एकांकी और दर्जनों नवसाक्षरों के लिए किताबें प्रकाशित हैं। इनके अलावा महाराजा सयाजीराव गायकवाड पर उपन्यास, बालकथा, अनुसन्धात्मक पैंतीस किताबों का लेखन और सम्पादन।

साहित्य अकादेमी के ‘बाल साहित्य पुरस्कार’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित। पाठ्यक्रम में आपकी कई पुस्तकें शामिल हैं। आप अब तक दुनिया के पचहत्तर से अधिक देशों की यात्राएँ कर चुके हैं।

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