Suno Jogi Aur Anya Kavitayein

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Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Suno Jogi Aur Anya Kavitayein
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संध्या नवोदिता की जोगी वाली कविताएँ जब पहली बार फ़ेसबुक पर पढ़ीं, तभी चौंक गई थी। कौन है यह जो अन्तस की ऐसी गहराई से ऐसी कविताएँ लिखती है जो पूरे ब्रह्मांड को घेर लेती हैं? मैंने इस अनजान कवि की ‘जोगी’ शीर्षक से एक फ़ाइल बना ली और कविताएँ उसमें रखने लगी—यह सोचकर कि फिर उतरना ही होगा इनमें फ़ुरसत से। और जब उतरी तो पाया कि ज़िन्दगी के पार्क का तीन अरब किलोमीटर का चक्कर लगवाती हैं ये कविताएँ—पृथ्वी के आलिंगन में सूरज के चारों ओर। इन कविताओं में प्रेम की उदासी और दुःख का पहाड़ा ऐसा हृदयविदारक है कि मेरे जैसा अ-रूमानी पाठक भी सन्तप्त हो उठता है। जाने कैसी सच्चाई है, कैसी गहराई है इस भाषा में, जो रोज़मर्रा के जीवन की मामूली चीज़ों से होती सुपर मून तक वामन डग भरती विस्तार पा लेती है।

इन कविताओं में कवि का आत्म अपने को विस्तारित करता हुआ समूची धरती का आत्म बन जाता है। इसलिए सहज ही संध्या वह सब कुछ अपनी कविताओं में कह जाती हैं जो बहुत श्रम के बाद भी अनकहा ही रह जाता है। बराबर मनुष्य की गरिमा के साथ प्रेम और साहचर्य को जीती ये कविताएँ प्रकृति के साथ भी एक अटूट साहचर्य की कामना रखती हैं। प्रेम, प्रकृति और प्रतिरोध यहाँ इस तरह से घुल-मिलकर आते हैं कि अलग से उनकी पहचान कर पाना या एक दूसरे से विलगाकर देख पाना सम्भव नहीं बचता।

यह सब उस भाषा में है जिसे हम रोज़ बरत रहे हैं। कहीं कोई बनावट या कविताई का आग्रह नहीं दिखता। शायद अनुभव और अभिव्यक्ति की यह निर्दोष जुगलबंदी है कि हम उसके ख़यालों की सीढ़ियाँ नाप पाते हैं। कुछ कविताओं को पढ़ ऐसा होता है कि मैं अगर उनपर कुछ लिखना चाहूँ, तो वे शब्द नहीं मिलते जो उस कविता के साथ न्याय कर सकें। मेरी भाषा मौन हो जाती है। लौट आने के आह्वान में खोए हुए की प्रतीति और पुकार अविस्मरणीय बन जाती है। संध्या की कविताएँ ऐसी ही कविताएँ हैं।

—अलका सरावगी

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Sandhya Navodita

Author: Sandhya Navodita

संध्या नवोदिता

संध्या नवोदिता का जन्म 12 सितम्बर, 1976 को बरेली, उत्तर प्रदेश में हुआ। उन्होंने रुहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली से क़ानून, इतिहास और पत्रकारिता की पढ़ाई की है। जन-आन्दोलनों और जनोन्मुखी राजनीति में छात्र-जीवन से सक्रिय दिलचस्पी रखने वाली संध्या विभिन्न सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर अख़बारों, पत्रिकाओं और ब्लागों में लगातार लिखती रही हैं। ‘सहारा समय’ में नियमित रूप से पत्रकारिता की है। ‘हंस’, ‘वागर्थ’, ‘तद्भव’, ‘नया ज्ञानोदय’, ‘लमही’, ‘आजकल’, ‘अहा ज़िन्दगी’, ‘पाखी’, ‘इतिहास बोध’, ‘समकालीन जनमत’, ‘माटी’ और ‘वर्तमान साहित्य’ आदि पत्रिकाओं में उनकी कविताएँ प्रकाशित हुई हैं। उन्होंने फिदेल कास्त्रो, सीमोन द बोउआर, रॉक डाल्टन और माया एंजेलो की रचनाओं का अनुवाद किया है। अनेक पत्र-पत्रिकाओं में बाल कविताएँ भी प्रकाशित हैं। बच्चों के लिए विज्ञान की एक पुस्तक का अनुवाद 'जीव विज्ञान की मोहक दुनिया' के नाम से प्रकाशित है। 'सुनो जोगी और अन्य कविताएँ' उनका पहला कविता-संग्रह है।

फ़िलहाल रक्षा लेखा-विभाग में वरिष्ठ लेखा परीक्षक के पद पर कार्यरत हैं।

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