Stree Adhyayan Ki Buniyad

Author: Pramila K.P.
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Stree Adhyayan Ki Buniyad

इस पुस्तक में स्त्री-विमर्श के शुरुआती इतिहास, और विश्व में विभिन्न चरणों में उसका विकास कैसे हुआ, इसका तथ्यात्मक ब्योरा दर्ज किया गया है। तदुपरान्त हिन्दी साहित्य, विशेषतया कहानी में आज यह विमर्श किस तरह व्यक्त हो रहा है, उसका भी बेबाक विश्लेषण किया गया है।

अठारहवीं सदी में यूरोप में शुरू हुआ नारीवादी चिन्तन कई धाराओं में विकास की मौजूदा स्थिति तक पहुँचा है। उदारवादी नारीवाद समाज के व्यापक सरोकारों को समेटकर चलता है तो उग्रवादी नारीवाद सामाजिक संरचना में आमूलचूल परिवर्तन का हिमायती रहा है। इनके साथ मार्क्सवादी तथा अश्वेत नारीवाद की धाराएँ भी रहीं, और समाजवादी नारीवाद भी देखने में आया। ग़रज़ कि उन्नीसवीं और बीसवीं सदी में जो चिन्ता समूचे विश्व में सबसे व्यापक रही, वह स्त्री की अस्मिता, उसके अधिकारों के इर्द-गिर्द स्थित रही और इसका परिणाम है कि आज कुछ चिन्तक 21वीं सदी को स्त्रियों की सदी कह रहे हैं और नारीवादी विमर्श अलग-अलग समाजों में यौन-राजनीति के अलग-अलग पहलुओं को समझने के लिए जूझ रहा है।

यह पुस्तक इस विमर्श के बनने-बढ़ने के इतिहास को जानने-समझने में बेहद सहायक होगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2015, Ed 1st
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Author: Pramila K.P.

प्रमला के.पी.

जन्म : 4 मई, 1967; मंडूर, ज़िला—कण्णूर, केरल।

हिन्दी, मलयालम और अंग्रेज़ी में लेखन और अनुवाद कार्य।

हिन्दी में आलोचनात्मक किताबें : ‘विमर्श और विस्तार’, ‘स्त्री अस्मिता और समकालीन कविता’,
‘स्त्री : यौनिकता बनाम आध्यात्मिकता’, ‘कविता का स्त्रीपक्ष’, ‘भाषान्तरण-भावान्तरण’, ‘स्त्रीमुक्ति और कविता’, ‘औरत की अभिव्यक्ति एवं आदमी का अधिकार’ आदि।

अनूदित किताबें : निर्मला पुतुल, कात्यायनी और पवन करण की कविताओं का मलयालम में अनुवाद।

सरोजिनी साहू की रचनाओं—उपन्यास, कहानी एवं आलोचना—का मलयालम और हिन्दी में अनुवाद।

सम्प्रति : श्रीशंकराचार्य विश्वविद्यालय, कालडी में कार्यरत।

सम्मान : ‘कविता का स्त्री पक्ष’ पर ‘देवीशंकर अवस्थी स्मृति सम्मान’।

ई-मेल : prameelakp2011@gmail.com

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