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Shirdi Sai Baba : Divya Mahima-Hard Cover

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9788180312427
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‘शिरडी साईं बाबा दिव्य महिमा’ प्रस्तुत पुस्तक की रचना भगवान श्रीशिरडी साईं बाबा की प्रेरणा से हुई है। इसमें लेखक ने शिरडी साईं बाबा के व्यक्तित्व की दिव्यता का बोध विभिन्न संस्मरणों एवं अनुभवों के माध्यम से प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया है। इसका लक्ष्य शिरडी साईं के व्यक्तित्व, चरित एवं दर्शन का बौद्धिक विश्लेषण करने का नहीं था, अपितु उनसे सम्बन्धित भक्तों के अनुभवों को यथार्थ रूप में प्रस्तुत करके पाठकों को भक्ति-रस का आस्वाद प्रदान करने का रहा है। शुरू में लेखक ने अपने उन अनुभवों को प्रस्तुत किया है, जिनसे उनका शिरडी साईं बाबा के प्रति विश्वास दृढ़ हुआ। बाबा के जीवन-चरित की एक रूपरेखा संक्षेप में प्रस्तुत की गई है।

कई भक्तों के संस्मरण प्रस्तुत किए गए हैं जो कि शिरडी साईं बाबा के समकालीन थे और जिन्हें बाबा के निकट सम्पर्क में आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। ऐसे भक्तों के भी अनुभव प्रस्तुत किए गए हैं जिन्होंने बाबा के देह-त्याग के अनन्तर भी उनकी कृपा से विभिन्न कष्टों से मुक्ति या अपने किसी लक्ष्य में सफलता प्राप्त की। इन अनुभवों से स्पष्ट है कि बाबा आज भी पूर्ण शक्ति से कार्यरत हैं तथा वे भक्तों की प्रार्थनाओं का उत्तर देते हैं।

पुस्तक के अन्त में बाबा की एक शिष्या शिवम्माताई के द्वारा वर्णित अनुभव प्रस्तुत किए गए हैं। शिवम्माताई ने अपनी युवावस्था में ही बाबा से दीक्षा ग्रहण करके उनकी आराधना में लग गई थीं। उन्होंने उस समय की घटनाओं का आँखों-देखा हाल वर्णित किया है जिससे बाबा के सम्बन्ध में नई जानकारी मिलती है। बाबा की शिक्षाओं और उनके दिव्यत्व पर भी प्रकाश डाला गया है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2008
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 131p
Price ₹190.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Ganpatichandra Gupt

Author: Ganpatichandra Gupt

गणपतिचन्द्र गुप्त

जन्म : 15 जुलाई, सन् 1928 ई.; मंढ़ा (सुरेरा), राजस्थान में।

पंजाब विश्वविद्यालय से एम.ए. (हिन्दी); पीएच.डी. एवं डी.लिट्. की उपाधियाँ प्राप्त कीं। पंजाब विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, रोहतक विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं आगरा विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर, और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय एवं कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में कुलपति के पद पर भी कार्य किया।

प्रमुख कृतियाँ : ‘साहित्य-विज्ञान’, ‘हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास’, ‘रस-सिद्धान्त का पुनर्विवेचन’, ‘साहित्यिक निबन्ध’, ‘हिन्दी-काव्य में शृंगार-परम्परा’, ‘महाकवि बिहारी’, ‘श्री सत्य साईं बाबा : व्यक्तित्व एवं सन्देश’,  ‘शिरडी साईं बाबा : दिव्य महिमा’ आदि।

 

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