Shigaf

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विस्थापन का दर्द महज़ एक सांस्कृतिक, सामाजिक विरासत से कट जाने का दर्द नहीं है, बल्कि अपनी खुली जड़ें लिए भटकने और कहीं जम न पाने की भीषण विवशता है, जिसे अपने निर्वासन के दौरान सैनसबेस्टियन (स्पेन) में रह रही अमिता, लगातार अपने ब्लॉग में लिखती रही है। डॉन किहोते की ‘रोड टू ला मांचा’ से कश्मीर वादी में लौटने की, अमिता की भटकावों तथा असमंजस-भरी इस यात्रा को अद्भुत तरीक़े से समेटता हुआ यह उपन्यास विस्थापन और आतंकवाद की कोई व्याख्या या समाधान नहीं प्रस्तुत करता, वरन् आस्था-अनास्था की बर्बर लड़ाइयों के बीच, कुचले जाने से रह गए कुछ जीवट पलों को जिलाता है और ज़मीन पर गिर पड़े उस दिशा संकेतक बोर्ड को उठाकर फिर-फिर गाड़ता है जिस पर लिखा है—भाई मेरे, अमन का एक रास्ता इधर से भी होकर गुज़रता है।

शिगाफ़ यानी एक दरार जो कश्मीरियत की रूह में स्थायी तौर पर पड़ गई है, जिसमें से धर्मनिरपेक्षता एक हद तक रिस चुकी है, इस शिगाफ़ को भरने के लिए प्रयासरत है उपन्यास का पत्रकार नायक ज़मान। अमिता और ज़मान जिनका लक्ष्य तो एक है मगर फिर भी दो विपरीत व विषम अतीत से उपजे जीवन-मूल्यों को सहेजते हुए वे कई बार प्रक्रिया तथा प्रतिक्रिया से उलझते हुए आपस में टकराते रहते हैं। अमिता के ब्लॉग, यास्मीन की डायरी, मानव बम जुलेखा का मिथकीय कोलाज, अलगाववादी नेता वसीम के एकालाप के ज़रिए कश्मीर और कश्मीरियत की विदीर्ण व्यथा-कथा को अलग कोण, नए शैलीगत प्रयोगों तथा ताज़गी-भरी भाषा के साथ अपने उपन्यास ‘शिगाफ़’ में अनूठे ढंग से प्रस्तुत कर रही हैं—मनीषा कुलश्रेष्ठ।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 256p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Manisha Kulshreshtha

Author: Manisha Kulshreshtha

मनीषा कुलश्रेष्ठ

जन्म : 26 अगस्त, 1967; जोधपुर।

शिक्षा : बी.एससी., एम.ए. (हिन्दी साहित्य), एम.फ़ि‍ल्. विशारद (कथक)।

प्रकाशित कृतियाँ : कहानी-संग्रह—‘कठपुतलियाँ’, ‘कुछ भी तो रूमानी नहीं’, ‘केयर ऑफ़ स्वात घाटी’, ‘गन्धर्व-गाथा’, ‘बौनी होती परछाईं’; उपन्यास—‘शिगाफ़’, ֹ‘शालभंजिका’, ‘स्‍वप्‍नपाश’।

अनुवाद : माया एंजलू की आत्मकथा ‘वाय केज्ड बर्ड सिंग’ के अंश, लातिन अमरीकी लेखक मामाडे के उपन्यास ‘हाउस मेड ऑफ़ डॉन’ के अंश, बोर्हेस की कहानियों का अनुवाद।

सम्मान : ‘बिहारी पुरस्‍कार’, ‘चन्द्रदेव शर्मा सम्मान’, ‘रांगेय राघव पुरस्कार’ (राजस्थान साहित्य अकादेमी); ‘कृष्ण बलदेव वैद फ़ेलोशिप’; ‘कृष्‍णप्रताप कथा सम्‍मान'; ‘डॉ. घासीराम वर्मा सम्मान’; ‘लमही सम्‍मान’।

बहुचर्चित उपन्यास ‘शिगाफ़’ का हायडलबर्ग (जर्मनी) के साउथ एशियन मॉडर्न लैंग्वेजेज़ सेंटर में वाचन।

विशेष : ‘विश्‍व हिन्‍दी सम्‍मेलन—2012’, जोहान्‍सबर्ग में शामिल।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन और इंटरनेट की पहली हिन्दी वेबपत्रिका ‘हिन्दीनेस्ट’ का ग्यारह वर्षों से सम्पादन। ‘हिन्दीनेस्ट’ के अलावा, वर्धा विश्वविद्यालय की वेबसाइट ‘हिन्दी समय डॉट कॉम’ का निर्माण, ‘संगमन’ की वेबसाइट ‘संगमन डॉट कॉम’ का निर्माण व देखरेख।

ई-मेल : manishakuls@gmail.com

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