कौन-सी वह तीव्र अनुभूति है जो मानव-मन को किसी स्थान विशेष की ओर अनजाने ही आकर्षित करती है? यह आकर्षण भौगोलिक हदों तक सीमित नहीं, इसका सम्मोहन देशकाल की सीमाओं से परे है। उपन्यास की नायिका एंजेलिका, जिस देश में जन्मी, पली और बढ़ी है, उस समाज और वातावरण में अपने को सर्वथा अजनबी पाती है, जहाँ हज़ारहा कोशिशों के बावजूद उसे चैन और सुकून हासिल नहीं है। वह नहीं जानती कि इस छटपटाहट के पीछे कारण क्या हैं? माता-पिता की उसके प्रति रही उदासीनता को लेकर आक्रोश या स्वयं अपने स्वभाव में एक अनाम अधूरापन जिसका निर्धारण असम्भव है। अन्ततः जब वह अपने गन्तव्य—भारत आ पहुँचती है, बकौल उसकी जापानी सहेली फ्रुमिको के, अपने भारतीय पति को ‘भारत के एक टिकट के लिए भुनाकर’, तो क्या परिपूर्णता की उसकी खोज वाकई समाप्त हो जाती है? या अभी देशकाल की कई और भौतिक सीमाओं को उलाँघना बाक़ी है? परदेस जाकर बसनेवाले लोग किन-किन कारणों से अपने-अपने देशों का त्याग करते हैं, अपनाए हुए देश से उनकी क्या और कौन-सी अपेक्षाएँ हुआ करती हैं, इस प्रश्न को भी आयरलैंड और भारत की पृष्ठभूमि पर रचित इस उपन्यास में उपस्थित किया गया है।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1999
Edition Year 1999, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12.5 X 1
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Author: Hemangini A. Ranade

हेमांगिनी अ. रानडे

 

जन्म : गुजरात के एक मुस्लिम परिवार में। शिक्षा-दीक्षा मुम्बई तथा इन्दौर में। आगरा विश्वविद्यालय से स्नातक। संगीतज्ञ डॉ. अशोक दा रानडे से सन् 1967 में विवाह। कॉलेज जीवन से ही आकाशवाणी से संलग्न। पहले इन्दौर, तत्पश्चात् आकाशवाणी मुम्बई में। आकाशवाणी में नाट्य-स्वर के रूप में कार्य। महिलाओं तथा बालकों के हिन्‍दी कार्यक्रमों का संचालन तथा प्रस्तुतिकरण।

हिन्‍दी, गुजराती, अंग्रेज़ी कार्यक्रमों में सहयोग। कई रेडियो-नाटकों का निर्देशन, लेखन और प्रस्तुतिकरण एवं उनमें अभिनय। कई नाटकों, वार्ताओं, कथाओं, रूपकों आदि का लेखन तथा अन्य भाषाओं की रचनाओं का हिन्‍दी में अनुवाद। सन् 1992 में सेवानिवृत्त।

‘सारिका’, ‘धर्मयुग’, ‘नवभारत टाइम्स’ (मुम्बई), ‘सबरंग’, ‘आजकल’ आदि पत्रिकाओं में कहानियों का प्रकाशन। ‘धर्मयुग’ में नारी-समस्याओं पर लेखन। ‘नवनीत समर्पण’ में गुजराती भाषा में कथा-कहानियाँ प्रकाशित। बच्‍चों के लिए एन.बी.टी. के पाठक-मंच में कहानी-लेखन। एन.ए.बी. द्वारा ‘बोलती पुस्तकें’ में दृष्टिहीनों के लिए विभिन्न भाषाओं की नियमित वाचिका।

पहला उपन्यास ‘अनुभव’ राजकमल से सन् 1996 में प्रकाशित।

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