Sarvar Down Hai

Author: Yash Malviya
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Sarvar Down Hai
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सृजन हृदय की अकुलाहट व्यक्त करने का माध्यम है। जब कोई संवेदनशील रचनाकार किसी विधा की अभिव्यक्ति के लिए अपर्याप्त पाता है तो वह विधाओं के दर-दर पर भटकता है। जीवन इतना जटिल है कि उसे विश्लेषित करना, समझना और अभिव्यक्त करना किसी भी संवेदनशील रचनाकार के लिए एक चुनौतीपूर्ण रचनाकर्म बना रहता है। शायद यही कारण है कि यश मालवीय भी विधा-दर-विधा भटकते रहते हैं। किसी भी बेचैन रूह के परिन्दे की यही परिणति
है।

किसी भी पाठक के लिए यह एक चौंकानेवाला अनुभव होता है जब वह यश का अत्यन्त भावप्रवण गीत पढ़ने के बाद अचानक उसके किसी तीखे व्यंग्य लेख से साक्षात्कार करता है। कई बार तो यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि यश मूल रूप से संवेदनशील कवि हैं अथवा व्यग्यंकार। यश के पिता स्वर्गीय उमाकान्त मालवीय इस बेचैनी के शिकार थे मगर वह स्थितियों को उजागर करने के लिए अतीतोन्मुख हो जाते थे। यह बेचैनी एक तरह से यश को विरासत में मिली है। उनका दृष्टिकोण इस दृष्टि से नितान्त भिन्न है, वह वर्तमान से उचककर भविष्य की ओर झाँकने की कोशिश करते हैं। ऐसे रचनाकारों को एक समय में बहुमुखी प्रतिभा के धनी कहा जाता था।

समसामयिक ज्वलन्त प्रश्नों पर शरद जोशी बहुत निर्ममता से प्रहार करते थे, उनके बाद यह प्रवृत्ति यश में देखी जा सकती है। वह विडम्बनापूर्ण परिस्थितियों का अन्तःपरीक्षण करके यथार्थ से मुठभेड़ करते हैं। शरद जोशी की ही तरह यश के व्यंग्य लेख भी पत्र-पत्रिकाओं के अलावा दैनिक पत्रों के पृष्ठों पर बिखरे पड़े हैं। शरद जोशी के व्यंग्य लेखों के संकलन का कार्य आज तक जारी है! यह एक सुखद आश्चर्य है कि यश यह काम स्वयं कर रहे हैं, और इसी क्रम में उनका यह संकलन व्यंग्य लेखन की समृद्ध परम्परा में एक मील का पत्थर साबित होता है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 336p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 13.6 X 1.8
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Yash Malviya

Author: Yash Malviya

यश मालवीय

जन्म : 18 जुलाई, 1962; कानपुर।

शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक।

साहित्य की विभिन्न विधाओं में लेखन। प्रमुख रूप से नवगीत लेखन। कवि सम्मेलनों में भागीदारी के अतिरिक्त दूरदर्शन, आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से रचनाओं का प्रसारण, पत्र-पत्रिकाओं में सतत प्रकाशन।

प्रमुख कृतियाँ : ‘कहो सदाशिव’, ‘उड़ान से पहले’, ‘एक चिड़िया अलगनी पर एक मन में’, ‘बुद्ध मुसकुराए’, ‘कुछ बोलो चिड़िया’, ‘रोशनी देती बीड़ियाँ’, ‘नींद काग़ज़ की तरह’, ‘समय लकड़हारा’, ‘वक़्त का मैं लिपिक’, ‘एक आग आदिम’, (नवगीत-संग्रह); ‘चिंगारी के बीज’ (दोहा-संग्रह); ‘इंटरनेट पर लड्डू’, ‘कृपया लाइन में आएँ’, ‘सर्वर डाउन है’ (व्यंग्य-संग्रह); ‘ताक धिनाधिन’, ‘रेनी डे’ (बालगीत-संग्रह); एक नाटक ‘मैं कठपुतली अलबेली’ भारत रंग महोत्सव, नई दिल्ली में मंचित।

सम्मान : दो बार उ.प्र. हिन्दी संस्थान का ‘निराला सम्मान’, संस्थान का ही ‘सर्जना सम्मान’ व ‘उमाकांत मालवीय सम्मान’, मोदी कला भारती मुम्बई का ‘युवा कविता सम्मान’, परम्परा का ‘ऋतुराज सम्मान’, ‘शकुतला सिरोठिया बाल साहित्य पुरस्कार’।

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