Sardhana Ki Begham

Author: Rangnath Tiwari
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Sardhana Ki Begham

ऐतिहासिक उपन्यास में अपने समय की कहानी होती है जिसमें विराट काल-पुरुष के आँसू और मुस्कान, समय की सीमा को लाँघकर अविकल रूप से छलकते रहते हैं।

‘सरधाना की बेग़म’ एक ऐतिहासिक उपन्यास है जिसमें बेग़म समरू और आयरिश सोल्जर जॉर्ज थॉमस की रूहानी कशमकश साकार हो उठी है।

‘सरधाना की बेग़म’ एक अजीबो-ग़रीब शख़्सियत। सियासत जिसके ख़ून में रची-बसी थी और मक्कारी जिसके वजूद का हिस्सा। मैदाने-जंग में वह जब मर्दाना भेष में अपनी कवायदी फ़ौज और लाव-लश्कर के साथ उतरती तो अच्छे-अच्छों के छक्के छूट जाते।

दिल्ली का बादशाह शाहआलम उसे अपनी बेटी कहता और शाहआलम के वकील-ए-मुतल्लक (वजीर) माधोजी सिन्धिया उसे अपनी समशिरा बहन अर्थात् सगी बहन कहते और जिससे राखी बँधवाते।

‘‘संगीत उसकी साँसों में था

और नृत्य की लय उसके तन-बदन में

सूफ़ी तसव्वुफ़ उसका ईमान था

और ईसा मसीह की प्रेम-संवेदना

उसकी कहानी इकादत’’

जाट, मराठा, पठान, जर्मन, फ़्रांसीसी, आयरिश तथा अंग्रेज़ जांबाज़ों के हौसलों को बार-बार चकमा देकर अपनी बहादुरी और हुस्नोजमाल का भरम क़ायम रखनेवाली क़यामत का नाम है—‘सरधाना की बेग़म’, जिसके ज़िक्र के बिना अठारहवीं शताब्दी के उत्तरी भारत की अन्दरूनी कहानी अधूरी रह जाती है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2005
Edition Year 2005, Ed. 1st
Pages 524p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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Rangnath Tiwari

Author: Rangnath Tiwari

रंगनाथ तिवारी

जन्म : 21 जनवरी, 1933; सोलापुर।

शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, पुणे विद्यापीठ (1959)।

प्रमुख कृतियाँ : मराठी में आठ पुस्तकें प्रकाशित। हिन्दी में ‘चलो यहाँ से चलें’, ‘देवगिरि बिलावल’, ‘सरधाना की बेगम’।

अनुवाद : मराठी से हिन्दी अनुवाद ‘विढार’ (भालचन्द्र नेमाड़े) सहित अनेक महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद।

सम्मान : ‘देवगिरि बिलावल’ (ऐतिहासिक मराठी उपन्यास) महाराष्ट्र शासन का ‘श्री.ह.ना. आप्टे पुरस्कार’, ‘बेगम समरू’ (मराठी उपन्यास) महाराष्ट्र शासन का ‘श्री.वि.स. खांडेकर पुरस्कार’, ‘श्री भैरूरतन दमाणी पुरस्कार’, ‘तुळसाबाई सोमाणी पुरस्कार’, ‘काया परकाया’ (मराठी नाटक) महाराष्ट्र शासन का ‘नाट्य विषयक पुरस्कार’।

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