‘देवगिरि बिलावल’ मराठी के ऐतिहासिक उपन्यासों की परम्परा में मील का पत्थर है। इस उपन्यास का हिन्दी अनुवाद हिन्दी के ऐतिहासिक उपन्यास-साहित्य की महत्त्वपूर्ण उपलब्धि मानी जाएगी। समर्थ अर्थवत्ता एवं सशक्त अभिव्यक्ति सम्पन्न कलाबोध तथा बहुआयामी चिन्तनशीलता ने इस उपन्यास को सर्जनशीलता के आकाश का ध्रुवतारा बना दिया है।

ऐतिहासिक उपन्यास अपने समय की सांस्कृतिक चेतना का आविष्कार होता है। धर्म, संस्कृति, संगीत, राजनीति, अर्थशास्त्र, सामाजिक अवधारणा तथा मानवीय अन्तश्चेतना के चकित करनेवाले रहस्यमय ताने-बाने से ‘देवगिरि बिलावल’ के जरदोजी महावस्त्र का निर्माण हुआ है। समय की ऐतिहासिकता यहाँ अपने आप को लाँघकर सार्वकालिकता बन गई है।

इस्लाम का परचम बुलन्द करनेवाला प्रशासनकुशल, कलाप्रिय, भोगलोलुप तथा निष्ठुर सुलतान अलाउद्दीन; उससे भी अधिक क्रूरकर्मा, महापराक्रमी, मदन मनोहर क:पुरुष मलिक काफूर; सात्त्विकता के आभामंडल से मंडित उच्चकोटि के सूफ़ी-सन्त हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया; उनके शागिर्द-श्रेष्ठ साहित्यकार, संगीत-कला मर्मज्ञ, हज़रत अमीर ख़ुसरो; वैदिक संगीत की पवित्रता को अक्षुण्‍ण बनाए रखने के लिए प्राणार्पण करने को प्रस्तुत संगीत के अन्तिम गायक गोपाल नायक; तथा अपने इस सत्व-सम्पन्न एवं कलाकार के अभिव्यक्ति-स्वातंत्र्य के लिए संघर्ष करनेवाले गुरु का परमादर करनेवाली अनिंद्य सुन्दरी देवल दे और इस सौन्दर्य सम्राज्ञी के लिए अपनी आँखों की आहुति देनेवाला उदात्त प्रेमी शहज़ादा ख़िज्रख़ान—इस उपन्यास के एकाधिक अविस्मरणीय चरित्र हैं। सुश्लिष्ट कथा-वस्तु, पात्रों के प्रत्ययकारी चित्रण, जीवनानुभूति को उसकी समग्रता में ग्रहण करने की लेखकीय वृत्ति, कलात्मक तथा परिष्कृत संवेदनशीलता, चिन्तनशीलता, रूमानी रसिकता आदि गुण-समुच्चय के कारण मराठी के सुचर्चित लेखक रंगनाथ तिवारी का यह उपन्यास ‘क्षणे-क्षणे यन्नवतामुपैति’ के स्तर तक जा पहुँचा है।

—प्रा.रा.द. आरगडे,

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1995
Edition Year 1995, Ed. 1st
Pages 368p
Translator Chandrabhanu Vedalankar
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 13.5 X 2.5
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Rangnath Tiwari

Author: Rangnath Tiwari

रंगनाथ तिवारी

जन्म : 21 जनवरी, 1933; सोलापुर।

शिक्षा : एम.ए. हिन्दी, पुणे विद्यापीठ (1959)।

प्रमुख कृतियाँ : मराठी में आठ पुस्तकें प्रकाशित। हिन्दी में ‘चलो यहाँ से चलें’, ‘देवगिरि बिलावल’, ‘सरधाना की बेगम’।

अनुवाद : मराठी से हिन्दी अनुवाद ‘विढार’ (भालचन्द्र नेमाड़े) सहित अनेक महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का हिन्दी में अनुवाद।

सम्मान : ‘देवगिरि बिलावल’ (ऐतिहासिक मराठी उपन्यास) महाराष्ट्र शासन का ‘श्री.ह.ना. आप्टे पुरस्कार’, ‘बेगम समरू’ (मराठी उपन्यास) महाराष्ट्र शासन का ‘श्री.वि.स. खांडेकर पुरस्कार’, ‘श्री भैरूरतन दमाणी पुरस्कार’, ‘तुळसाबाई सोमाणी पुरस्कार’, ‘काया परकाया’ (मराठी नाटक) महाराष्ट्र शासन का ‘नाट्य विषयक पुरस्कार’।

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