Samay O Bhai Samay

Author: Pash
Translator: Chaman Lal
Editor: Chaman Lal
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Samay O Bhai Samay
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यह एक सुपरिचित तथ्य है कि कवि पाश की पैदाइश एक आन्दोलन के गर्भ से हुई थी। वे न सिर्फ़ एक गहरे अर्थ में राजनीतिक कवि थे, बल्कि सक्रिय राजनीतिकर्मी भी थे। ऐसे कवि के साथ कुछ ख़तरे होते हैं, जिनसे बचने के लिए यथार्थ चेतना के साथ–साथ एक गहरी कलात्मक चेतना, बल्कि कला का अपना एक आत्म–संघर्ष भी ज़रूरी होता है। पाश की कविताएँ इस बात का साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं कि उनके भीतर एक बड़े कलाकार का वह बुनियादी आत्म–संघर्ष निरन्तर सक्रिय था, जो अपनी संवेदना की बनावट, वैचारिक प्रतिबद्धताएँ और इन दोनों के बीच के अन्त:सम्बन्ध को निरन्तर जाँचता–परखता चलता है।

प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ, अनेक स्रोतों से एकत्र की गई हैं—यहाँ तक कि कवि की डायरी और घर–परिवार से प्राप्त जानकारी को भी चयन का आधार बनाया गया है। पुस्तकों से ली गई कविताओं पर तो कवि की मुहर लगी है, पर डायरी से प्राप्त रचनाओं या काव्यांशों को देकर पाश के उस पक्ष को भी सामने लाया गया है, जहाँ एक सतत विकासमान कवि के सृजनरत मन का एक प्रामाणिक प्रतिबिम्ब सामने उभरता है।

पाश की कविता उदाहरण होने से बचकर नहीं चलती। वे उन थोड़े–से कवियों में हैं, जिनकी असंख्य पंक्तियाँ पाठकों की ज़बान पर आसानी से बस जाती हैं। नीचे की पंक्तियाँ मुझे ऐसी ही लगीं और शायद उनके असंख्य पाठकों को भी लगेंगी—‘चिन्ताओं की परछाइयाँ/उम्र के वृक्ष से लम्बी हो गर्इं/मुझे तो लोहे की घटनाओं ने/रेशम की तरह ओढ़ लिया।

—केदारनाथ सिंह

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1995
Edition Year 2023, Ed 7th
Pages 141p
Translator Chaman Lal
Editor Chaman Lal
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 1
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Pash

Author: Pash

पाश

जन्म : 9 सितम्‍बर, 1950। जन्म-स्थान : तलवंडी सलेम नामक गाँव, तहसील–नकोदर, ज़िला–जालन्‍धर (पंजाब)। पूरा नाम : अवतार सिंह संधू। पंजाबी के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कवि। पहली कविता 15 वर्ष की आयु में लिखी। पहली बार कवि के रूप में 1967 में छपे।

हायर सेकंडरी के बाद प्राइवेट रूप में बी.ए.। गाँव में स्कूल खोला। बाद में ‘सिआड़’ (1972-73), ‘हेम ज्योति’ (1974-75) और हस्तलिखित ‘हाक’ (1982) नामक पत्रिकाओं का सम्‍पादन। 1985 में अमेरिका चले गए। वहाँ ‘एंटी-47’ (1986-88) का सम्‍पादन करते हुए ख़ालिस्तानी आन्दोलन के विरुद्ध सशक्त प्रचार-अभियान। 1978 में शादी। 1980 में एक बेटी का जन्म।

1967 में सी.पी.आई. से जुड़े। 1969 में नक्सलवादी राजनीति से। 1988 में कुछ दिनों के लिए घर आए कि 23 मार्च को (अमेरिका वापसी से दो दिन पहले) गाँव में ही अपने एक अभिन्न मित्र हंसराज के साथ ख़ालिस्तानी आतंकवादियों की गोलियों का शिकार।

प्रकाशित कविता-संग्रह : लौह कथा (1970); उड्डदे बाजाँ मगर (1974); साडे समियाँ विच (1978); लड़ांगे साथी (1988)।

हिन्दी में अनूदित : बीच का रास्ता नहीं होता, समय ओ भाई समय।

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