Ramlila : Parampara Aur Shailiya

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Author: Induja Awasthi
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Ramlila : Parampara Aur Shailiya

हिन्दी-भाषी क्षेत्र की सबसे प्राचीन और समृद्ध नाट्य परम्परा–रामलीला–की सर्वांगीण झाँकी पहली बार इस पुस्तक में पाठकों को मिलेगी। रामलीला की ऐतिहासिक भूमिका, सुसंस्कृत और मध्ययुगीन नाट्य परम्परा से उसका सम्बन्ध, नाटकीय संवादों के स्रोत, सामाजिक, सांस्कृतिक पुस्तक, प्रदर्शन और अभिनय के व्यवहार, क्षेत्रीय शैलियाँ, रामलीला की रंगमंचीय परम्परा–सभी पक्षों का गंभीर विवेचन इस पुस्तक की विशेषता है। रामचरितमानस का गहरा प्रभाव रामनगर, वाराणसी की विशिष्ट रामलीला शैली पर है। इस पुस्तक में नितान्त नयी सामग्री प्रामाणिकता के साथ प्रस्तुत की गई है। एक अध्याय में रामकथा पर आधारित देश के विभिन्न भागों में प्रचलित पारम्परिक नाट्य-रूपों की चर्चा रामलीला की परम्परा को अखिल भारतीय सन्दर्भ प्रदान करती है। लेखिका ने एक ओर तो स्थान-स्थान के रामलीला प्रदर्शन देखकर तथ्य एकत्र किये और दूसरी ओर अपने चार दशकों के गहरे और व्यावहारिक रंगमंचीय अनुभव के आधार पर इस विवेचन को ऐसा रंग-बोध दिया है जो हिन्दी के नाट्य-अनुसन्धान में सर्वथा नया है। अन्तिम परिशिष्ट में दक्षिण एशियाई देशों की नृत्यनाट्य और रूपांकन कलाओं में रामायण के गहरे प्रभाव का विवेचन पुस्तक की उपादेयता को बढ़ा देता है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1979
Edition Year 2022, Ed. 3rd
Pages 279p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 3
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Editorial Review

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Author: Induja Awasthi

इन्दुजा अवस्थी

जन्म : वसन्त पंचमी, 1930 (लखनऊ)

शिक्षा : एम.ए. (संस्कृत) 1950, लखनऊ विश्वविद्यालय; एम.ए. (हिन्दी) 1957, दिल्ली विश्वविद्यालय, पी-एच.डी. : हिन्दी की उपभाषाओं में प्रस्तुत रामलीला 1974, दिल्ली विश्वविद्यालय।

अध्यापन : इजाबेला थोबर्न कॉलेज, लखनऊ (संस्कृत विभाग : 1950-1952); मिरांडा हाउस, दिल्ली विश्वविद्यालय (हिन्दी विभाग : 1960-1995); तोक्यो विदेशी भाषा विश्वविद्यालय (हिन्दी विभाग : 1986-88)।

कोशकार्य : शोध सहायक : शिक्षा मंत्रालय का वैज्ञानिक शब्दावली विभाग (1954-57); चैम्बर्स अंग्रेज़ी-हिन्दी कोश : (1981)

अनुवाद-कार्य : ‘नाटक साहित्य का अध्ययन’ (ए स्टडी ऑफ़ ड्रामा : ब्रैंडर मैथ्यूज़) 1964; ‘यूनेस्को न्यूज़लेटर : 1952-1958’; ‘भगवदज्जुकम् : 1956’; ‘धूर्त समागम : 1980’; विक्रमोर्वशी : 1999।

प्रमुख कृतियाँ : ‘रामलीला: परम्परा और शैलियाँ’ (1979), ‘देश की प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में रामायण एवं नाट्य-सम्बन्धी लेख प्रकाशित’ (1971 से 2000)।

यात्राएँ : रामायण-विशेषज्ञ के रूप में इंडोनेशिया, थाइलैंड, जर्मनी, जापान, चीन, मलेशिया, मॉरिशस, अमरीका।

राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठियाँ : ‘साहित्य अकादेमी’, दिल्ली; ‘इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र’, दिल्ली; ‘कालिदास अकादमी’, उज्जैन; अयोध्या, चित्रकूट, भोपाल, कानपुर, लखनऊ, रायबरेली आदि रामायण-मेलों में भागीदारी।

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