Premchand Ki Virasat Aur Godan

Edition: 2011, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Premchand Ki Virasat Aur Godan

‘गोदान’ मूलत: ग्राम-केन्द्रित उपन्यास है और उसी रूप में मान्य भी है। ‘गोदान’ में
ग्राम और नगर की इन दुहरी कथाओं को लेकर उसके रचना-काल से तरह-तरह के सवाल और विवाद
उठाए गए हैं तथा दोनों के समुचित संयोजन पर भी प्रश्नचिह्न लगाए गए हैं। उपन्यास में गाँव की
कथावस्तु के साथ नगर की कथा को जोड़ने में प्रेमचन्द का उद्देश्य क्या था, और दोनों के संयोजन
में वे कहाँ तक अपने संवेदनात्मक उद्देश्य को पूरा कर सके।
‘गोदान’, हिन्दी कथा-साहित्य को प्रेमचन्द की बहुत महत्त्वपूर्ण देन है। उसे साहित्य के क्षेत्र में एक
‘क्लासिक’ का स्थान मिला है। अपने गहन संवेदनात्मक गुण और अपने निहायत सादे किन्तु
अतिशय प्रभावशाली रचना-शिल्प के नाते उपन्यास के भावी विकास को मानक के तौर पर स्वीकार
किया गया है। उपन्यास के परवर्ती विकास में उसकी छाप और उसके प्रतिचित्र आसानी से देखे और
परखे जा सकते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 153p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 1
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Shivkumar Mishra

Author: Shivkumar Mishra

शिवकुमार मिश्र

जन्म : 2 फरवरी, 1931; कानपुर (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. तक की शिक्षा, कानपुर में। पीएच.डी. तथा डी.लिट्. सागर विश्वविद्यालय, सागर, म.प्र. से।

कार्य : सन् 1959 से सन् 1977 तक सागर विश्वविद्यालय में तथा उसके उपरान्त 1991 ई. तक सरदार पटेल विश्वविद्यालय, वल्लभ विद्यानगर (गुजरात) में अध्यापन। भारत सरकार की सांस्कृतिक आदान-प्रदान योजना के तहत 1991 ई. में 15 दिन की सोवियत यूनियन की सांस्कृतिक यात्रा।

जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे।

प्रमुख कृतियाँ : ‘नया हिन्दी काव्य’, ‘प्रगतिवाद’, ‘मार्क्सवादी साहित्य-चिन्तन’, ‘यथार्थवाद’, ‘प्रेमचंद : विरासत का सवाल’, ‘आचार्य शुक्ल और हिन्दी आलोचना की परम्परा’, ‘भक्ति आन्दोलन और भक्ति काव्य’, ‘मार्क्सवाद देवमूर्तियाँ नहीं गढ़ता’, ‘आधुनिक कविता और युग-सन्दर्भ’, ‘इतिहास, साहित्य और संस्कृति’ सहित साहित्य-समीक्षा से सम्बन्धित कई पुस्तकों का लेखन। साहित्य-समीक्षा से सम्बन्धित आचार्य नन्ददुलारे वाजपेयी की चार पुस्तकों तथा विदेशी लेखकों की चार पुस्तकों का सम्पादन-पुनःप्रस्तुति।

पुरस्कार : ‘मार्क्सवादी साहित्य-चिन्तन’ पुस्तक पर सन् 1975 ई. में ‘सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड’।

निधन : 21 जून, 2013

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