Pratinidhi Kavitayen : Harivanshrai Bachhan

जीवन और योवन, सत्य और स्वप्न तथा सौन्दर्य और प्रेम के अप्रतिम कवि हरिवशराय बच्चन के विशाल काव्य-कोष से चुनी हुई ये कविताएँ बहुत दूर तक आपके साथ जाने वाली है । अपने जीवन का कोई-न-कोई रंग, कोई-न-कोई पहलू इनके शब्दबंधों में आप अवश्य तलाश लेंगे और कविता सहज ही आपकी निजी संवेदना का हिस्सा बन जाएगी । बच्चन-काव्य की यह एक ऐसी विशेषता है, जिससे छायावादोत्तर हिंदी कविता को लोकग्राह्य बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । दाय के रूप में प्राप्त छायावादी प्रयोगात्मक काव्य-शैली से अप्रभावित रहकर उन्होंने जीवन-सत्यों की अनुभुतिगम्य रचना की । काव्य-क्षेत्र में उनके पदार्पण और रचनात्मक विद्रोह को लक्ष्य करते हुए एक प्रक्यत समालोचक ने लिखा था कि “बच्चन सारा ढांचा बदलकर आए नई भाषा, नई अभिव्यंजना और नए किस्म की अनुभूति, उनका सब कुछ नया-ही-नया है ।” निश्चय ही बच्चन-काव्य का यह नयापन इस शताब्दी के पांच दशकों में फैला हुआ है और इस काल में होने वाली तमाम सामाजिक उथल-पुथल को भी उन्होंने कविताओ में रेखांकित किया है, पर इस सबको अनुभूति की आँख और संवेदना की छुं से ही परखा जा सकता है । तो आइए, इन कविताओं के माध्यम से हम अपने जीवन-यथार्थ और मनोमय भावलोक की यात्रा पर चलें ।
Language | Hindi |
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Format | Paper Back |
Publication Year | 1986 |
Edition Year | 2021, Ed. 14th |
Pages | 144p |
Translator | Not Selected |
Editor | Mohan Gupta |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 18 X 12 X 1 |
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