pratinidhi Kavitayein : Viren dangwal

Author: Viren Dangwal
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pratinidhi Kavitayein : Viren dangwal
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वीरेन डंगवाल के यहाँ ख़तरा और प्यार, वस्तुतः एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। प्यार नष्ट हुआ है, क्योंकि ख़तरों से रूबरू होने की ताब नहीं बची : अब दरअसल सारे ख़तरे ख़त्म हो चुके/प्यार की तरह। इसलिए यह कहना अधूरा, बल्कि नुक़सानदेह आकलन होगा कि वीरेन प्रेम के कवि हैं। सच है कि प्रेम की आकांक्षा, वह भी सबकी ज़िन्दगी में उसे चरितार्थ होता देखने की आकांक्षा, सबके हित में उसका एहतिराम उनकी कविता की केन्द्रीय पुकार बन गया है और यह पुकार मार्मिक और सशक्त है, क्योंकि यह प्रेम के न होने की सचाई से वाक़िफ़ है : यह कौन नहीं चाहेगा उसको मिले प्यार! कविता की अनुगूँज में विलक्षण व्याप्ति है, जो इसे हमारे कठिन समय की पुकार में बदल देती है।

मगर यहाँ अभिलषित प्यार अपने रूप और मिज़ाज में उस प्रेम से भिन्न है, जो महज़ किसी स्त्री से संबोधित होने और उससे संसर्ग करने की उदग्र कामनाओं में ही व्यक्त हो पाता है। इस प्यार का अन्तरंग, इसकी दुनिया बड़ी है। अनगिनत भोली, सुन्दर, मासूम इच्छाओं का विफल रह जाना, किसी सपने का पूरा न हो सकना, किसी ख़ुशी का न मिल पाना—विराट् जन-जीवन के इस पराभव के पीछे आख़िर कौन-सी शक्तियाँ हैं? वीरेन डंगवाल की कविता इसके कारणों को जानना चाहती है, उन कारणों से लड़ना चाहती है : किसने आख़िर ऐसा समाज रच डाला है/जिसमें बस वही दमकता है, जो काला है?

—पंकज चतुर्वेदी

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Pankaj Chaturvedi
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Editorial Review

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Viren Dangwal

Author: Viren Dangwal

वीरेन डंगवाल

जन्म : 5 अगस्त, 1947; कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल। मुजफ़्फ़रनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल में शुरुआती शिक्षा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. और आधुनिक हिन्दी कविता के मिथकों और प्रतीकों पर डी.लिट्.। 1971 से बरेली कॉलेज में अध्यापन। साथ ही हिन्दी और अंग्रेज़ी में पत्रकारिता। इलाहाबाद से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में कुछ वर्ष तक ‘घूमता आईना’ शीर्षक से स्तम्भ-लेखन। दैनिक ‘अमर उजाला’ के सम्पादकीय सलाहकार।

कविता-संग्रह—‘इसी दुनिया’, ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’, ‘स्याही ताल’ प्रकाशित। तुर्की के महाकवि नाज़िम हिकमत की कविताओं के अनुवाद ‘पहल पुस्तिका’ के रूप में।

विश्व कविता से पाब्लो नेरूदा, बर्टोल्ट ब्रेख़्ट, वास्को पोपा, मीरोस्लाव होलुब, तदेऊष रूज़ेविच आदि की कविताओं के अलावा कुछ आदिवासी लोक-कविताओं के अनुवाद। कई कविताओं के अनुवाद बांग्ला, मराठी, पंजाबी, मलयालम और अंग्रेज़ी में प्रकाशित।

‘इसी दुनिया’ में के लिए ‘रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार’, ‘श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार’। कविता के लिए ‘शमशेर सम्मान’। ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ पर ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’।

निधन : 28 सितम्बर, 2015

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