Dushchakra Mein Srashta

Author: Viren Dangwal
Edition: 2023, Ed. 5th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Dushchakra Mein Srashta
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कविता में यथार्थ को देखने-पहचानने का वीरेन डंगवाल का तरीक़ा अलग, अनूठा और बुनियादी क़िस्म का रहा है। उनकी कविता ने समाज के साधारण जनों और हाशियों पर स्थित जीवन के जो विलक्षण ब्योरे और दृश्य हमें दिए हैं, वे सबसे अधिक बेचैन करनेवाले हैं। कविता की मार्फ़त वीरेन ने ऐसी बहुत-सी चीज़ों और उपस्थितियों के संसार का विमर्श निर्मित किया जो प्राय: अनदेखी थीं। इस कविता में जनवादी परिवर्तन की मूल प्रतिज्ञा थी और उसकी बुनावट में ठेठ देसी क़िस्म के ख़ास और आम अनुभवों की संश्लिष्टता थी। सन् 1991 में प्रकाशित उनके पहले कविता-संग्रह ‘इसी दुनिया में’ से ही ये बातें बिलकुल स्पष्ट हो गई थीं। वीरेन की विलक्षण काव्य-दृष्टि पर्जन्य, वन्या, वरुण, द्यौस जैसे वैदिक प्रतीकों और ऊँट, हाथी, गाय, मक्खी, समोसे, पपीते, इमली जैसी अति लौकिक वस्तुओं की एक साथ शिनाख़्त करती हुई अपने समय में एक ज़रूरी हस्तक्षेप करती है ।

वीरेन डंगवाल का यह कविता-संग्रह–‘दुश्चक्र में स्रष्टा’–जैसे अपने विलक्षण नाम के साथ हमें उस दुनिया में ले जाता है जो इन वर्षों में और भी जटिल, और भी कठिन हो चुकी है और जिसके अर्थ और भी बेचैन करनेवाले बने हैं। विडम्बना, व्यंग्य, प्रहसन और एक मानवीय एब्सर्डिटी का अहसास वीरेन की कविता के कारगर तत्त्व रहे हैं। इन कविताओं में इन काव्य-युक्तियों का ऐसा विस्तार है जो घर और बाहर, निजी और सार्वजनिक, आन्तरिक और बाह्य को एक साथ समेटता हुआ ज़्यादा बुनियादी काव्यार्थों को सम्भव करता है। विचित्र, अटपटी, अशक्त, दबी-कुचली और कुजात कही जानेवाली चीज़ें यहाँ परस्पर संयोजित होकर शक्ति, सत्ता और कुलीनता से एक अनायास बहस छेड़े रहती हैं और हम पाते हैं कि छोटी चीज़ों में कितना बड़ा संघर्ष और कितना बड़ा सौन्दर्य छिपा हुआ है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2002
Edition Year 2023, Ed. 5th
Pages 116p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Viren Dangwal

Author: Viren Dangwal

वीरेन डंगवाल

जन्म : 5 अगस्त, 1947; कीर्तिनगर, टिहरी गढ़वाल। मुजफ़्फ़रनगर, सहारनपुर, कानपुर, बरेली, नैनीताल में शुरुआती शिक्षा के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से हिन्दी में एम.ए. और आधुनिक हिन्दी कविता के मिथकों और प्रतीकों पर डी.लिट्.। 1971 से बरेली कॉलेज में अध्यापन। साथ ही हिन्दी और अंग्रेज़ी में पत्रकारिता। इलाहाबाद से प्रकाशित ‘अमृत प्रभात’ में कुछ वर्ष तक ‘घूमता आईना’ शीर्षक से स्तम्भ-लेखन। दैनिक ‘अमर उजाला’ के सम्पादकीय सलाहकार।

कविता-संग्रह—‘इसी दुनिया’, ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’, ‘स्याही ताल’ प्रकाशित। तुर्की के महाकवि नाज़िम हिकमत की कविताओं के अनुवाद ‘पहल पुस्तिका’ के रूप में।

विश्व कविता से पाब्लो नेरूदा, बर्टोल्ट ब्रेख़्ट, वास्को पोपा, मीरोस्लाव होलुब, तदेऊष रूज़ेविच आदि की कविताओं के अलावा कुछ आदिवासी लोक-कविताओं के अनुवाद। कई कविताओं के अनुवाद बांग्ला, मराठी, पंजाबी, मलयालम और अंग्रेज़ी में प्रकाशित।

‘इसी दुनिया’ में के लिए ‘रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार’, ‘श्रीकांत वर्मा स्मृति पुरस्कार’। कविता के लिए ‘शमशेर सम्मान’। ‘दुष्चक्र में स्रष्टा’ पर ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’।

निधन : 28 सितम्बर, 2015

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