Pratinidhi Kahaniyan : Rameshchandra Shah

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Pratinidhi Kahaniyan : Rameshchandra Shah
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रमेशचन्द्र शाह की कहानियों में शहरी मध्यवर्ग की ज़िन्दगी धड़कती है। अपनी कहानियों में उन्होंने इस वर्ग की अन्तहीन महागाथा को नया विस्तार दिया है। इस विस्तार का नयापन बहुस्तरीय है। विवरण और विश्लेषण के शिल्प में कहानी लिखते हुए भी शाह जी कहीं एकरस नहीं होते। असल में शाह जी प्रथमत: कवि हैं, इसलिए उनके कथ्य और भाषा में गहरी ऐन्द्रिकता और संवेदनशीलता है। उनकी रचना का यह गुण उनके कथाकार व्यक्तित्व की एक अलग श्रेणी बनाता है। शाह जी के पात्र मध्यवर्गीय परिस्थिति की विडम्बनाओं में फँसे हैं। लेकिन जीवन विरोधियों के बीच भी वे जीवन जीने की गहरी इच्छा से जुड़े हैं। पात्रों की यह महत्त्वपूर्ण विशेषता है।

उनके चरित्र जीवन्त और अविस्मरणीय हैं। अविस्मरणीय इसलिए कि कथा में अपने प्रवेश के साथ ही वे चरित्र हमारी ज़िन्दगी में शामिल हो जाते हैं। इन चरित्रों से मिलते ही लगता है कि उनसे हमारा पहले से ही गहरा परिचय और आत्मीयता है।

शाह जी के इन चरित्रों से रूबरू होते आपको भी अपने वे परिचित सहज ही मिल जाएँगे जो कहीं दूर छूट गए हैं, लेकिन आज भी आपके जीवन में लगातार शामिल हैं।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 3rd
Pages 158p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Editorial Review

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Rameshchandra Shah

Author: Rameshchandra Shah

रमेशचन्द्र शाह

रमेशचन्द्र शाह का जन्म सन् 1937 में वैशाखी त्रयोदशी को अल्मोड़ा, उत्तर प्रदेश में हुआ। प्रयाग विश्वविद्यालय से उच्‍च शिक्षा पाई। हमीदिया कॉलेज, भोपाल के अंग्रेज़ी विभाग में सेवाएँ दीं। भोपाल में 'निराला सृजनपीठ' के निदेशक रहे।
इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं–'गोबरगणेश', 'क़िस्सा ग़ुलाम' (आठ भारतीय भाषाओं में अनूदित), 'पूर्वापर', 'आख़िरी दिन', 'पुनर्वास', 'आप कहीं नहीं रहते विभूति बाबू', 'असबाब-ए-वीरानी' (उपन्यास); 'जंगल में आग', 'मुहल्ले का रावण', 'मानपत्र', 'थिएटर', 'प्रतिनिधि कहानियाँ' (कहानी-संग्रह); 'कछुए की पीठ पर', 'हरिश्चन्द्र आओ', 'नदी भागती आई', 'प्यारे मुचकुन्द को', 'चाक पर समय' तथा 'देखते हैं शब्द भी अपना समय' (कविता-संग्रह); 'मारा जाई ख़ुसरो' (नाटक); 'शैतान के बहाने', 'रचना के बदले', 'पढ़ते-पढ़ते', 'सबद निरन्तर', 'आड़ू का पेड़', 'स्वधर्म और कालगति', 'स्वाधीन इस देश में' (निबन्ध-संग्रह); 'छायावाद की प्रासंगिकता', 'समानान्तर', 'वागर्थ', 'भूलने के विरुद्ध', 'अज्ञेय : वागर्थ का वैभव', 'अज्ञेय का कवि-कर्म', 'आलोचना का पक्ष', 'समय-संवादी' (समालोचना); 'अज्ञेय : काव्य-स्तबक', 'जड़ की बात' (जैनेन्द्र के निबन्ध), 'प्रसाद रचना-संचयन' (सम्पादन); 'अकेला मेला', 'इस खिड़की से' (डायरी); 'बहुवचन' में दो यात्रा-वृत्तान्त संकलित तथा 'एक लम्बी छाँह' (यात्रा-वृत्तान्त); 'मटियाबुर्ज' ('राशोमन' का अनुवाद), 'दस स्पोक भर्तृहरि' (भर्तृहरिशतक का अंग्रेज़ी पद्यानुवाद) एवं कविताओं की चार पुस्तिकाएँ 'तनाव' पुस्तकमाला के अन्तर्गत प्रकाशित (अनुवाद); कई कविता एवं नाट्य-पुस्तकें (बाल-साहित्य)।
अंग्रेज़ी में : 'येट्स एंड एलियट : पर्सपैक्टिव्ज़ ऑन इंडिया', 'जयशंकर प्रसाद' तथा टेमेनोए अकादमी, लन्दन द्वारा चार व्याख्यानों की पुस्तिका प्रकाशित।
सम्मान : 'शिखर-सम्मान' (मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग), 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', 'व्यास सम्मान', 'पद्मश्री', 'भवानीप्रसाद मिश्र पुरस्कार', 'महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार', 'महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार' तथा भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता  द्वारा सम्मानित।
सम्पर्क : एम-4, निराला नगर, भदभदा रोड, भोपाल (म.प्र.)।
ई-मेल : reshahaakhar@gmail.com

 

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