Bhoolane Ke Viruddha

Awarded Books,Literary Criticism,Discourse
As low as ₹280.00 Regular Price ₹350.00
You Save 20%
In stock
Only %1 left
SKU
Bhoolane Ke Viruddha
- +

रचना और आलोचना का सम्बन्ध सनातन है और दोनों ही एक-दूसरे की पूरक हैं। रचना यदि जीवन का भरपूर और संश्लिष्ट संवेदन है तो आलोचना उसका बौद्धिक समतुल्य। पाठक इन दोनों से जुड़ता है, लेकिन रचना से गुज़रना उसकी पहली शर्त है। इससे रचना और पाठक के बीच जो सम्बन्ध बनता है, आलोचना उसे और अधिक गहरा और तर्कसंगत बनाने का कार्य करती है। सुपरिचित कवि, कथाकार और साहित्य-समीक्षक रमेशचन्द्र शाह की यह कृति रचना और आलोचना के इसी सम्बन्ध-निर्वाह की सार्थक परिणति है।

लेखक के शब्दों में, आलोचना स्वैरिणी नहीं, बल्कि स्वाधीन बुद्धि की उत्तरदायी गतिविधि है। उसकी यह भी मान्यता है कि ''साहित्य की दुनिया हमारे व्यापक सांस्कृतिक दृश्य का ही एक हिस्सा—गोकि सबसे अन्दरूनी और सबसे गझिन बुनावटवाला हिस्सा—है।’’ इस सन्दर्भ में इस कृति का 'आलोचना, परम्परा और इतिहास’ नामक पहला निबन्ध अत्यन्त महत्त्वपूर्ण निष्कर्षों तक ले जाता है।

पूरी पुस्तक 'प्राचीन और नवीन’ तथा 'अस्ति और स्वराज’ नामक दो उपशीर्षकों में विभाजित है। इनमें जो पन्द्रह निबन्ध संग्रथित हैं, उनमें एक ओर जहाँ लेखक ने 'भारत-भारती’ के माध्यम से मैथिलीशरण गुप्त का और छायावाद की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए प्रसाद का पुनर्मूल्यांकन किया है, वहीं उसने अज्ञेय, निर्मल वर्मा, मलयज और श्रीकान्त वर्मा इत्यादि परवर्ती और समकालीन लेखकों की रचनात्मकता की गम्भीर विवेचना की है। दूसरे खंड के अन्तिम निबन्ध में उसने अनुवादजीवी संस्कृति और वैचारिक स्वराज का सवाल उठाकर पाठकीय चेतना को गहरे तक झकझोरा है। संक्षेप में, लेखक के ही शब्दों का सहारा लें तो इस कृति में “पिछले दसेक वर्षों के दौरान लिखी गई कुछ समीक्षाएँ, पुनर्मूल्यांकन और कुछ स्वतंत्र विवेचनात्मक लेख भी संकलित हैं। शुद्ध साहित्यिक चिन्तन की आलोचना को भी शामिल करने का औचित्य, आशा है, मर्मज्ञ पाठक स्वयं ही इस पुस्तक के क्रम-विन्यास से गुजरते हुए समझ सकेंगे और संकलित सामग्री के व्यापक वैविध्य का ही नहीं, उसकी अन्त:संगति का भी पर्याप्त आश्वासन पा सकेंगे।”

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1990
Edition Year 1990 Ed. 1st
Pages 224p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
Write Your Own Review
You're reviewing:Bhoolane Ke Viruddha
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Rameshchandra Shah

Author: Rameshchandra Shah

रमेशचन्द्र शाह

रमेशचन्द्र शाह का जन्म सन् 1937 में वैशाखी त्रयोदशी को अल्मोड़ा, उत्तर प्रदेश में हुआ। प्रयाग विश्वविद्यालय से उच्‍च शिक्षा पाई। हमीदिया कॉलेज, भोपाल के अंग्रेज़ी विभाग में सेवाएँ दीं। भोपाल में 'निराला सृजनपीठ' के निदेशक रहे।
इनकी प्रमुख कृतियाँ हैं–'गोबरगणेश', 'क़िस्सा ग़ुलाम' (आठ भारतीय भाषाओं में अनूदित), 'पूर्वापर', 'आख़िरी दिन', 'पुनर्वास', 'आप कहीं नहीं रहते विभूति बाबू', 'असबाब-ए-वीरानी' (उपन्यास); 'जंगल में आग', 'मुहल्ले का रावण', 'मानपत्र', 'थिएटर', 'प्रतिनिधि कहानियाँ' (कहानी-संग्रह); 'कछुए की पीठ पर', 'हरिश्चन्द्र आओ', 'नदी भागती आई', 'प्यारे मुचकुन्द को', 'चाक पर समय' तथा 'देखते हैं शब्द भी अपना समय' (कविता-संग्रह); 'मारा जाई ख़ुसरो' (नाटक); 'शैतान के बहाने', 'रचना के बदले', 'पढ़ते-पढ़ते', 'सबद निरन्तर', 'आड़ू का पेड़', 'स्वधर्म और कालगति', 'स्वाधीन इस देश में' (निबन्ध-संग्रह); 'छायावाद की प्रासंगिकता', 'समानान्तर', 'वागर्थ', 'भूलने के विरुद्ध', 'अज्ञेय : वागर्थ का वैभव', 'अज्ञेय का कवि-कर्म', 'आलोचना का पक्ष', 'समय-संवादी' (समालोचना); 'अज्ञेय : काव्य-स्तबक', 'जड़ की बात' (जैनेन्द्र के निबन्ध), 'प्रसाद रचना-संचयन' (सम्पादन); 'अकेला मेला', 'इस खिड़की से' (डायरी); 'बहुवचन' में दो यात्रा-वृत्तान्त संकलित तथा 'एक लम्बी छाँह' (यात्रा-वृत्तान्त); 'मटियाबुर्ज' ('राशोमन' का अनुवाद), 'दस स्पोक भर्तृहरि' (भर्तृहरिशतक का अंग्रेज़ी पद्यानुवाद) एवं कविताओं की चार पुस्तिकाएँ 'तनाव' पुस्तकमाला के अन्तर्गत प्रकाशित (अनुवाद); कई कविता एवं नाट्य-पुस्तकें (बाल-साहित्य)।
अंग्रेज़ी में : 'येट्स एंड एलियट : पर्सपैक्टिव्ज़ ऑन इंडिया', 'जयशंकर प्रसाद' तथा टेमेनोए अकादमी, लन्दन द्वारा चार व्याख्यानों की पुस्तिका प्रकाशित।
सम्मान : 'शिखर-सम्मान' (मध्य प्रदेश शासन, संस्कृति विभाग), 'साहित्य अकादेमी पुरस्कार', 'व्यास सम्मान', 'पद्मश्री', 'भवानीप्रसाद मिश्र पुरस्कार', 'महावीर प्रसाद द्विवेदी पुरस्कार', 'महापंडित राहुल सांकृत्यायन पुरस्कार' तथा भारतीय भाषा परिषद्, कोलकाता  द्वारा सम्मानित।
सम्पर्क : एम-4, निराला नगर, भदभदा रोड, भोपाल (म.प्र.)।
ई-मेल : reshahaakhar@gmail.com

 

Read More
Books by this Author

Back to Top