Pratinidhi Kahaniyan : Rajendra Singh Bedi

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Pratinidhi Kahaniyan : Rajendra Singh Bedi
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तरक़्क़ीपसन्द उर्दू कथाकारों में राजेंद्रसिंह बेदी का नाम अत्यन्त आदर के साथ लिया जाता है। उनकी रचनाओं की संख्या कम ज़रूर है लेकिन ज़मीन बहुत बड़ी है।

इस संग्रह में उनकी प्राय: सभी महत्त्वपूर्ण कहानियाँ शामिल हैं। इनसे जो सच्चाइयाँ उजागर हुई हैं, वे ज़िन्दगी को मात्र जी लेने से नहीं, उसमें कुछ तलाशने से ही सम्भव हैं। कहानी कहने के लिए बेदी के पास न तो बना-बनाया कोई साँचा है, न ही बुद्धिजीवी क़िस्म का कोई पूर्वग्रह। यही कारण है कि इन कहानियों से गुज़रते हुए हमारी अपनी संजीदगी बेदी की संजीदगी से एकमेक हो उठती है। उनकी अनुभवों की सच्चाई एक कलात्मक व्यवस्था के तहत हमारे भीतर उतर जाती है और शैली का संयम तथा भाषा की नज़ाकत हमें मुग्ध कर लेते हैं। अपनी कहानियों की नारी को बेदी ने रूह तक जानने और रचने की कोशिश की है। इसलिए कल्याणी, लाजवन्ती, कीर्ति और इन्दु जैसे जीवन्त नारी-चरित्र पाठकों के दिलो-दिमाग़ पर सदा-सदा के लिए नक़्श हो जाने की क्षमता से परिपूर्ण हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 1994
Edition Year 2023, Ed. 5th
Pages 142p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Rajendra Singh Bedi

Author: Rajendra Singh Bedi

राजेंद्रसिंह बेदी

जन्म : 1 सितम्बर, 1915 को लाहौर में। मातृभाषा पंजाबी, लेकिन समूचा लेखन प्राय: उर्दू में।

प्रगतिशील उर्दू कथा-साहित्य में एक बड़े कथाकार के रूप में समादृत। प्रारम्भिक जीवन में डाक-तार विभाग में क्लर्क रहे और फिर 1958 में ऑल इंडिया रेडियो, जम्मू के डायरेक्टर भी। इसके बाद स्वतंत्र रूप से साहित्य-सृजन और फ़िल्म-लेखन। ‘गरम कोट’ नामक कहानी पर स्वयं एक कला फ़िल्म का निर्माण किया। 1962 में महत्त्वपूर्ण उपन्यास ‘एक चादर मैली-सी’ का प्रकाशन और 1965 में इसी उपन्यास के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’ से सम्मानित। इसके अलावा ‘मोदी ग़ालिब पुरस्कार’, ‘पद्मश्री सम्मान’ आदि से सम्मानित।

प्रमुख प्रकाशित कृतियाँ : ‘एक चादर मैली-सी’ : 1962 (उपन्यास), ‘दाना-ओ-दाम’ : 1938, ‘गरहन’ : 1941, ‘अपने दु:ख मुझे दे दो’ : 1965, ‘हाथ हमारे क़लम हुए’ : 1974 (कहानी-संग्रह), ‘बेजान चीज़ें’, ‘सात खेल’ : 1981 (नाटक)।

निधन : 11 नवम्बर, 1984

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