Facebook Pixel

Panchayati Raj Ke Naye Aayam-Hard Cover

Special Price ₹505.75 Regular Price ₹595.00
15% Off
In stock
SKU
9789381864180
- +
Share:
Codicon

भारत की आत्मा गाँवों में बसती है। ग्राम-व्यवस्था वस्तुतः राष्ट्र-व्यवस्था की बुनियाद है। यही कारण है कि हमारे राष्ट्रनायकों ने सामाजिक उन्नयन, आर्थिक विकास, सांस्कृतिक प्रगति और राजनीतिक चेतना की दृष्टि से गाँवों को पर्याप्त महत्त्व दिया है। सबका मानना है कि भारत के विकास का रास्ता गाँवों से होकर गुज़रता है। महात्मा गांधी के श्रम, स्वदेशी और स्वावलम्बन की कर्मभूमि अधिकांश अर्थ में गाँव ही हैं।

प्रतापमल देवपुरा द्वारा लिखित ‘हमारा पंचायती राज’ पुस्तक पंचायती राज के प्रति जानकारी व जागरूकता उत्पन्न करने हेतु लिखी गई है। पुस्तक जनप्रतिनिधियों से लेकर सामान्य नागरिकों के लिए समाजिक रूप से उपयोगी है। 50 छोटे-छोटे अध्यायों में पंचायती राज से जुड़ी विभिन्न जिज्ञासाओं व जानकारियों की सूत्र-शैली में प्रस्तुति सकारण है। इस पद्धति से सूचनाएँ सरलता से प्राप्त हो जाती हैं। जैसे ‘सूचना का अधिकार’ के अन्तर्गत पहला सूत्र है, ‘सूचना के अधिकार का अर्थ है नागरिकों द्वारा सूचना माँगने पर सूचना मिले जिससे उसका जीवन बेहतर एवं सुरक्षित बने; इसके साथ ही सरकारी विभागों द्वारा सूचना देने का कर्तव्य।’

सरल व सुबोध भाषा में लिखित ‘हमारा पंचायती राज’ अत्यन्त जनोपयोगी पुस्तक है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 144p
Price ₹595.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Panchayati Raj Ke Naye Aayam-Hard Cover
Your Rating
Pratapmal Devpura

Author: Pratapmal Devpura

प्रतापमल देवपुरा

शिक्षा : एम.ए., एम.एससी., एम.एड.।

राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसन्धान एवं प्रशिक्षण संस्थान, उदयपुर से प्रायोजना अधिकारी पद से मार्च, 1999 में सेवानिवृत्त।

लेखन : जनसंख्या, किशोरावस्था, पर्यावरण विकास, पंचायतीराज, शिक्षा, विज्ञान आदि विषयक 60 लेख एवं 12 पुस्तकें प्रकाशित।

सम्मान : हिन्दी में मौलिक पुस्तक ‘जनसंख्या शिक्षा’ के लिए वर्ष 1995-96 में भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा पुरस्कृत। भारतीय विज्ञान लेखक संघ द्वारा तीसरी विज्ञान संचार कांग्रेस, 2003 में विज्ञान के लोकव्यापीकरण एवं संचार के लिए चिरस्थायी प्रयत्न हेतु सम्मानित।

सम्प्रति : ग़ैर-सरकारी संस्था विद्याभवन सोसायटी, उदयपुर में पंचायतीराज जनप्रतिनिधियों के प्रशिक्षण एवं सामग्री-निर्माण के कार्य में संलग्न।

 

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top