Pahad Mein Phool

Author: Karan Singh
Translator: Kim Woo Jo
Edition: 2005, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Pahad Mein Phool

1945 में जापान के आधिपत्य से मुक्ति के बाद आधुनिक कोरियाई समाज देश विभाजन तथा सैनिक सत्ता द्वारा जनतांत्रिक अधिकारों के हनन से उत्पन्न संकटों से लगातार जूझता रहा है। इसलिए आज की कोरियाई कविता मूलत: प्रतिरोध की कविता है लेकिन अपनी संस्कृति और जड़ों से गहरे लगाव के चलते इसने प्रतिरोध को अपनी परम्परा के बीच अनोखे ढंग से विकसित किया है। हिन्दी में प्रकाशित समकालीन कोरियाई कविता का यह पहला ऐसा संकलन है, जिससे गुज़रते हुए पाठक न केवल एशियाई कविता के एक विशिष्ट स्वरूप से परिचित होते हैं, बल्कि एक महान राष्ट्र की जातीय, सामाजिक तथा सांस्कृतिक अस्मिता की झलक भी पाते हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2005b
Edition Year 2005, Ed. 1st
Pages 248p
Translator Kim Woo Jo
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 24 X 16 X 2
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Karan Singh

Author: Karan Singh

कर्ण सिंह

डॉ. कर्ण सिंह का जन्म जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन रियासत के उत्तराधिकारी के रूप में 1931 में हुआ। अठारह साल की उम्र से ही वे राजनीति में संलग्न हो गए। पं. जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता महाराजा हरीसिंह ने उन्हें रीजेंट नियुक्त किया। इसके बाद वे अठारह सालों तक लगातार जम्मू-कश्मीर के प्रमुख रहे। इस दौरान 1952 तक उन्होंने रीजेंट, 1952 से 1965 तक सदर-ए-रियासत और 1965 से 1967 तक गवर्नर के रूप में कार्य किया। 1967 में डॉ. कर्ण सिंह केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए और भारत के सबसे कम उम्र (36 वर्ष) के केन्द्रीय मंत्री बने। इस नियुक्ति पर उन्होंने गवर्नर के पद से इस्तीफ़ा दिया और संसद के लिए चुने गए। अगले अठारह सालों तक संसद सदस्य रहते हुए उन्होंने मंत्रिमंडल में अनेक महत्त्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया।

डॉ. कर्ण सिंह कई अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में भी लगातार सक्रिय रहे हैं, यथा—‘टैम्पल ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग’ (एक अन्‍तरराष्ट्रीय अन्‍तरधार्मिक संगठन) के चेयरमैन; ‘पीपुल्स कमीशन ऑन एनवायरनमेंट एंड डेवलेपमेंट’ के अध्यक्ष; ‘इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर साइंस कल्चर एंड कांन्शियसनेस’ के अध्यक्ष; ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ के अध्यक्ष, ‘अरोविले फ़ाउंडेशन’ के चेयरमैन; इसके अलावा ‘क्लब ऑफ़ शेम’ तथा इक्कीसवीं सदी के लिए शिक्षा सम्‍बन्‍धी ‘यूनेस्को अन्‍तरराष्ट्रीय आयोग’ के सदस्य।

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