Aatmakatha : Dr. Karan Singh

Author: Karan Singh
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Aatmakatha : Dr. Karan Singh

डॉ. कर्ण सिंह को आधुनिक भारत के चिन्तकों और राजनयिकों में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। मूलत: अंग्रेज़ी में प्रकाशित यह पुस्तक पहले दो खंडों में थी। बाद में इसे एक ही जिल्द में समेटा गया जिसमें ख़ास तौर से इसी संस्करण के लिए लिखी गई एक महत्त्वपूर्ण प्रस्तावना भी शामिल थी।

यह ‘आत्मकथा’ भारतीय इतिहास के एक महत्त्वपूर्ण दौर का लेखा–जोखा प्रस्तुत करती है जिसमें भारत की स्वतंत्रता–प्राप्ति की घटना के अलावा जम्मू–कश्मीर की राजनीति, चीन और पाकिस्तान के साथ विवाद और पं. जवाहरलाल नेहरू व लालबहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्रित्व काल की घटनाएँ शामिल हैं।

इस बाह्य घटना–चक्र के अलावा इस पुस्तक में आप डॉ. कर्ण सिंह की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनकी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं, आन्तरिक विकास–क्रम और जीवन के आधारभूत सत्यों की खोज का ब्यौरा भी पाएँगे ।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2023, Ed. 5th
Pages 351p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
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Karan Singh

Author: Karan Singh

कर्ण सिंह

डॉ. कर्ण सिंह का जन्म जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन रियासत के उत्तराधिकारी के रूप में 1931 में हुआ। अठारह साल की उम्र से ही वे राजनीति में संलग्न हो गए। पं. जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता महाराजा हरीसिंह ने उन्हें रीजेंट नियुक्त किया। इसके बाद वे अठारह सालों तक लगातार जम्मू-कश्मीर के प्रमुख रहे। इस दौरान 1952 तक उन्होंने रीजेंट, 1952 से 1965 तक सदर-ए-रियासत और 1965 से 1967 तक गवर्नर के रूप में कार्य किया। 1967 में डॉ. कर्ण सिंह केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए और भारत के सबसे कम उम्र (36 वर्ष) के केन्द्रीय मंत्री बने। इस नियुक्ति पर उन्होंने गवर्नर के पद से इस्तीफ़ा दिया और संसद के लिए चुने गए। अगले अठारह सालों तक संसद सदस्य रहते हुए उन्होंने मंत्रिमंडल में अनेक महत्त्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया।

डॉ. कर्ण सिंह कई अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में भी लगातार सक्रिय रहे हैं, यथा—‘टैम्पल ऑफ़ अंडरस्टैंडिंग’ (एक अन्‍तरराष्ट्रीय अन्‍तरधार्मिक संगठन) के चेयरमैन; ‘पीपुल्स कमीशन ऑन एनवायरनमेंट एंड डेवलेपमेंट’ के अध्यक्ष; ‘इंटरनेशनल सेंटर फ़ॉर साइंस कल्चर एंड कांन्शियसनेस’ के अध्यक्ष; ‘इंडिया इंटरनेशनल सेंटर’ के अध्यक्ष, ‘अरोविले फ़ाउंडेशन’ के चेयरमैन; इसके अलावा ‘क्लब ऑफ़ शेम’ तथा इक्कीसवीं सदी के लिए शिक्षा सम्‍बन्‍धी ‘यूनेस्को अन्‍तरराष्ट्रीय आयोग’ के सदस्य।

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