Padari Mafi Mango

Author: Sharad Chandra
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Padari Mafi Mango

सटीक शब्दों का चुनाव, चुस्त वाक्य और संवेदना को भाषा का बाना देने का कौशल—ये चीज़ें इन कहानियों को पढ़ते हुए सबसे पहले ध्यान खींचती हैं, ख़ास तौर से इसलिए कि इधर की हिन्दी कहानी में अकसर इन चीज़ों का, एक समर्थ भाषा का अभाव खटकता है।

ये कहानियाँ एक सधे हुए हाथ से उतरी हुई रचनाएँ हैं। संग्रह की शीर्षक कहानी ‘पादरी, माफ़ी माँगो’ धार्मिक कट्‌टरता और एकांगिता पर हिन्दी की कुछ श्रेष्ठ कथा-रचनाओं में गिनने योग्य है। जहाँ तक विषय-वस्तु का सवाल है, ये कहानियाँ जैसे पूरे समाज, और व्यक्ति के समूचे मनोसंसार को कहीं-न-कहीं छूती हैं।

कहानी एक सजीव इकाई की तरह जैसे अपनी आँख से हमें हमारी दुनिया का दर्शन कराती है, लेखक बस एक निमित्त-भर है। मसलन ‘अम्माँ’ कहानी में एक भी वाक्य अपनी तरफ़ से कहे बग़ैर सिर्फ़ स्थितियों और घटनाओं के अंकन से ही उस हृदय-विदारक पीड़ा को सम्प्रेषित कर दिया जाता है जिसके कारण कहानी का बीज पड़ा होगा। समकालीन समाज की भौतिक और नैतिक विडम्बनाओं को रेखांकित करना कहानीकार का प्रधान प्रेरक बिन्दु है जो ‘दूसरा वर्ग’, ‘बेड नं. दस’, ‘वक़्त की कमी’ और ‘जोंक’ के साथ सभी कहानियों में किसी-न-किसी रूप में उजागर हुआ है।

कहानी में नएपन और भाषिक तथा संवेदनात्मक ताज़गी चाहनेवाले पाठकों को यह संग्रह निश्चित रूप से पसन्द आएगा।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Sharad Chandra

Author: Sharad Chandra

डॉ. शरद चन्द्र

डॉ. शरद चन्द्रा का जन्म 2 जनवरी, 1943 को राजस्‍थान के जयपुर में हुआ।

शिक्षा : एम.ए., पीएच. डी.। भारत में फ़्रांसीसी भाषा व साहित्य के विद्वानों में से एक। दिल्ली, राजस्थान और नाइजीरिया के विश्वविद्यालयों एवं इग्नू में अध्यापन।

प्रकाशित कृतियाँ : ‘अल्बैर् कामू और भगवद्गीता’, ‘Albert Camus : Sense of the Sacred’, ‘Three Essays on Indian Art & Architecture’, ‘Albert Camus and Blanche W. Knoph’, ‘Albert Camus and Indian Thought’, ‘Camus and India’ (चिन्तन); ‘एकान्त में अकेले’, ‘तो क्या’, ‘The Visit and other Stories’, ‘पादरी माफ़ी माँगो’, ‘Mutiny in the Ark’ (कहानी-संग्रह); ‘Albert Camus et L'Indc (Paris)’, ‘मरता शहर’, ‘A look Around’ (कविता-संग्रह); ‘The Higher Fidelity’, ‘Anthology of French literature’ आदि।

अनूदित पुस्तकें (मूल फ़्रेंच से) : ‘कालिगुला’, ‘न्यायप्रिय’, ‘सुखी मृत्यु’, ‘निर्वासन और आधिपत्य’, ‘अर्थदोष’, ‘पहला आदमी’, ‘एक बेचैन का रोज़नामचा’, ‘पहचान के नाम पर हत्याएँ’, ‘संगे सबूर’ (उपन्यास)। ‘वह मैं नहीं हूँ’ (कविता)। ‘आत्मा की खोज’ (फर्नांदो पैसोआ की चुनिन्‍दा गद्य रचनाएँ), ‘नाविक’ (फर्नांदो पैसोआ कृत 'ओ मेरिनिरो' का अनुवाद), फ़्रांसीसी कविताओं का संकलन, ‘फ्लैंडर्स रोड: क्लोद सीमों’, ‘शब्द : ज्याँ पाल सार्त्र’, ‘तोवॅलमैन : मिशेल देओं’, ‘रैम्बो की कविताएँ’, ‘फर्नांदो पैसोआ की कविताएँ’ आदि।

सम्मान : फ़्रांसीसी अकादमी, पेरिस द्वारा वर्ष 1992 के ‘ग्रों प्री पुरस्कार’ से सम्मानित प्रथम भारतीय; ‘द्ववागिश सम्मान’, 1993; ‘गुलबेन्कियन फ़ाउंडेशन फ़ैलोशिप’, लिज़्बन, पुर्तगाल, 1995; ‘रेज़ीडेंट अनुवादक फैलोशिप’, संस्कृति मंत्रालय, फ़्रांस, 1996 ‘हैरी रैंसम रिसर्च सेंटर फ़ेलोशिप’ आदि। देश-विदेश के अनेक आयोजनों में व्याख्यान एवं विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों में सक्रियता।

सम्प्रति : स्वतंत्र लेखन।

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