सुविख्यात फ्रेंच लेखक अल्बैर कामू का यह ऐतिहासिक नाटक सन् 1903 के क्रान्तिकालीन रूस में आतंकवादियों के एक गुट द्वारा आयोजित एक बम कांड का यथातथ्य चित्रण करता है। जैसा कि लेखक ने स्वयं कहा है कि ‘इस नाटक की कुछ स्थितियाँ यथार्थतः ऐतिहासिक हैं। इसके सभी पात्र वास्तविक हैं और उन्होंने उसी तरह का आचरण किया था, जैसा कि मैंने बताया है।’ यहाँ तक कि ‘न्यायप्रिय’ के नायक का नाम कलियायेव भी वास्तविक है।
अतिवादियों के इस गुट ने, जो क्रान्तिकारी समाजवादी पार्टी का ही हिस्सा था, रूसी सम्राट के चाचा प्रधान ड्यूक सार्ज की हत्या की योजना बनाई थी, जिसे कलियायेव ने पूरा किया। लेकिन लेखक के लिए इस समूचे घटनाक्रम में ड्यूक की हत्या के बजाय वह महान उद्देश्य और उसे पूरा करते हुए बचाए गए वे मानवीय मूल्य महत्त्वपूर्ण हैं, जो आतंकवाद को क्रान्तिकारिता के उच्चादर्श तक ले जाते हैं। कामू ने इस मुद्दे पर कलियायेव और दूसरे साथियों के बीच होनेवाली बहस को सर्वाधिक महत्त्व और विस्तार दिया है। सामाजिक अन्याय पर खड़ी एक दमनकारी राज्य-व्यवस्था से नाभिनालबद्ध दोषी व्यक्ति को खत्म करते हुए भी मानवीय करुणा, न्याय-भावना और आत्म-गौरव को बचाये रखने का संकल्प एक सच्चा क्रान्तिकारी ही साध सकता है। कलियायेव इन्हीं मूल्यों के लिए अपना बलिदान देता है और संसार के क्रान्तिकारी इतिहास में एक और अविस्मरणीय अध्याय जोड़ जाता है।
Language | Hindi |
---|---|
Binding | Hard Back, Paper Back |
Publication Year | 2023 |
Edition Year | 2024, Ed. 3rd |
Pages | 144p |
Translator | Sharad Chandra |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 21 X 13.5 X 1.5 |