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Nij Nainahin Dekhi-Hard Cover

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9788180316524
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केशवचन्द्र वर्मा का नाम इस कारण भी रेखांकित किया जाता है कि उन्होंने न केवल व्यंग्य-लेखन की हर विधा में सर्वप्रथम श्रेष्ठ उपलब्धियों वाली रचनाएँ कीं—चाहे हास्य व्यंग्य के उपन्यास हों, कहानियाँ हों, सम्पूर्ण नाटक और निबन्ध हों—परन्तु अन्य गम्भीर रचना के क्षेत्र में अपनी कविताओं और संगीत विषयक अनेक कृतियों को हिन्दी में पहली बार प्रस्तुत करने का श्रेय भी पाया है।

हिन्दी साहित्य के किताबी इतिहास से उसे मुक्त करके केशव जी ने जिस तरह अपनी पुस्तकों—‘ताकि सनद रहे’ और उसी क्रम में ‘निज नैनहिं देखी’ को अपने प्रामाणिक निजी साक्ष्य के रूप में प्रकाशित किया, वह निःसन्देह उन्हें इस क्षेत्र में भी सर्वश्रेष्ठ बनाती है। अपने समकालीनों में तो उनकी पहचान नितान्त विशिष्ट है ही—वे स्वयं अपनी रचना-प्रक्रिया को अपनी विविधता से चुनौती देते हैं। इसका साक्ष्य केशव जी का तमाम लेखन है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2012
Edition Year 2012, Ed. 1st
Pages 186p
Price ₹250.00
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.3
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Keshavchandra Verma

Author: Keshavchandra Verma

केशवचन्द्र वर्मा

जन्म : 1925; ज़िला—सुल्तानपुर।

शिक्षा : इलाहाबाद विश्वविद्यालय, एम.ए. अर्थशास्त्र।

साहित्य-सेवा : केशवचन्द्र वर्मा ने वर्षों के अपने सशक्त लेखन में कितने अछूते विषयों और भिन्न विधाओं में आधुनिक बोध और समकालीन परिवेश को समेटा है—यह देखकर आश्चर्य होता है। हिन्दी में हास्य व्यंग्य की विधा को साहित्यिक प्रतिष्ठा दिलाने में अग्रणी केशव जी के व्यंग्य उपन्यास, निबन्ध, कथा-कहानी, कविता-संकलन जितना चर्चित हुए—उतना ही उनकी नाट्य कृतियाँ, संस्कृति की नई पहचान कराती रचनाएँ—‘उज्ज्वल नील रस' और ‘समर्थारति' जैसी गम्भीर काव्य कृतियाँ तथा संगीत के सौन्दर्य पक्ष को श्रोताओं और पाठकों के लिए सुलभ कराती पुस्तकें हिन्दी साहित्य की अक्षयनिधि बन चुकी हैं। उन्होंने ‘छायानट' जैसी ललित कलाओं की पत्रिका का दस वर्षों तक उ.प्र. संगीत नाटक एकेडेमी के लिए संचालन और सम्पादन भी किया।

सम्मान : साहित्यिक उपलब्धियों के लिए अनेक सम्मान से सम्मानित किए गए।

निधन : 25 नवम्बर, 2007

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