शिवशंकरी का लेखन समाज की मुख्यधारा में सीधे हस्तक्षेप करनेवाला है। वे जीवन की पेचीदा परिस्थितियों को गहरी संलग्नता और सरलता के साथ उठाती हैं और किसी भी प्रकार के बौद्धिक आडम्बर से बचते हुए समस्या को उसके तार्किक अन्त तक ले जाती हैं।
‘नकेल’ एक ऐसी स्त्री की कहानी है जो अपने जीवन की एक अत्यन्त जटिल समस्या को न सिर्फ़ धैर्य, साहस और समझदारी के साथ हल करती है, बल्कि उसे एक मिसाल के तौर पर समाज के सामने स्थापित भी कर देती है। वह अपने प्रौढ़वय पति की शादी उसकी नौजवान प्रेमिका से कराती है और अपने लिए चुनती है उस वासनालोलुप पुरुष से स्थायी मुक्ति और अपने बच्चों की जिम्मेदारी। इस फ़ैसले को अंजाम देने के रास्ते में उसे घर–बाहर से विरोध भी झेलना पड़ता है, लेकिन अपने बच्चों के भविष्य और पति के निरंकुश आचरण को नियंत्रित करने के लिए वह दृढ़तापूर्वक इस पर क़ायम रहती है। और इस प्रकार एक ऐसी स्त्री की रूपरेखा उभरकर सामने आती है जो एक व्यक्ति की गरिमा से विभूषित भी है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2000 |
Edition Year | 2000, Ed. 1st |
Pages | 87p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 18.5 X 12.5 X 1 |