Khana Thanda Ho Raha Hai

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Author: Shivshankari
Translator: Kamla Vishwanath
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Khana Thanda Ho Raha Hai

इसे शिवशंकरी का दुस्साहस ही कहा जाना चाहिए कि लगातार असंवेदनशील होती दुनिया में उनकी कहानियाँ मूलत: संवेदना की कहानियाँ हैं। मुख्य बात यह है कि उनकी संवेदना का कहीं अन्त नहीं होता बल्कि उनकी संवेदना इस समाज के अत्यधिक असंवेदनशील हो गए आदमी का हृदय-परिवर्तन करने का जोखिम उठाती है। ‘खाना ठंडा हो रहा है’ का बदचलन नायक नटराजन का यूँ बदलना नाटकीय भले ही लगे, मगर मानवता की यह ज़रूरी आवश्यकता है।

उनकी संवेदना प्रेम और ममता का जड़ रूप नहीं है। वे नक़ली और दिखावटी संवेदना के जाल में न फँसकर शाश्वत संवेदना रचती हैं। उनका मानना है कि ‘स्टेप्ती’ भावशून्य यंत्रों के काम आ सकती है, मानव के नहीं। लेखिका की संवेदना अपनी अलग ज़मीन तलाशती है। अर्थात् किसी ख़ास बने-बनाए ढर्रे पर केन्द्रित न होकर उनकी संवेदना मानवीय सम्बन्धों के विभिन्न पहलुओं की गहरी पड़ताल करती है। वे कहीं माँ-बेटी के सम्बन्धों को अर्थ देती हैं तो कहीं समाज द्वारा तिरस्कृत नारी को हौसला। वक़्त के इस दौर में उनकी कहानियों से गुज़रना सही मायने में अपना और अपने होने का अर्थ खोजना है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2000, Ed. 1st
Pages 119p
Translator Kamla Vishwanath
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 18.5 X 12 X 1
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Editorial Review

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Author: Shivshankari

शिवशंकरी

जन्म : 14 अक्टूबर, 1942

तमिल लेखिका शिवशंकरी साहित्य के साथ-साथ सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं, इसीलिए उनके लेखन में उनके सामाजिक सरोकार गहराई से गुँथे होते हैं। नशीली दवाओं के सेवन, शराबख़ोरी और वरिष्ठ नागरिकों की समस्या पर उनके अनेक उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं।

अभी तक उनके खाते में लगभग 150 कहानियाँ, 30 उपन्यास, 13 यात्रा-वृत्तान्त और श्रीमती इंदिरा गांधी तथा जी.डी. नायडू की जीवनियाँ दर्ज हो चुकी हैं। आजकल वे ‘निट इंडिया थ्रो लिटरेचर’ शीर्षक परियोजना में व्यस्त हैं। देश की मान्यता-प्राप्त अठारहों भाषाओं के रचनाकारों के साक्षात्कारों पर आधारित इस परियोजना का पहला खंड (दक्षिण भारत पर केन्द्रित) अंग्रेज़ी, तमिल व हिन्दी में प्रकाशित हो चुका है।

लेखन के अलावा ऑडियो कैसेट और टेलीविज़न के लिए भी काम।

विभिन्न साहित्यिक व कला संस्थानों, पत्रिकाओं और संगठनों द्वारा अनेक पुरस्कारों और उपाधियों से सम्मानित, जिनमें प्रमुख हैं—‘कस्तूरी श्रीनिवासन अवार्ड‘, ‘डॉ. राजा सर अन्नामलाई चेट्टियार अवार्ड’, ‘राजीव विरुदु’, ‘तमिल अन्नाई अवार्ड’, ‘मेल्विन जोंस अवार्ड’, ‘राजीव गांधी नेशनल इंटीग्रेशन अवार्ड’, ‘तेलगू आट् र्स अकादमी अवार्ड’, ‘स्त्री रत्न अवार्ड’, ‘मनुश्री व मानद नागरिक सम्मान’ आदि।

अनेक सामाजिक व साहित्यिक संस्थाओं में सम्मानित पदों पर कार्य। दक्षिण भारतीय शास्त्रीय संगीत व भरतनाट्यम में भी पारंगत।

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