‘मृत्युंजयी ऊधम सिंह’ अपने ढंग के अनूठे रचनाकार जियालाल आर्य का उपन्यास है, जिसे शहीद ऊधम सिंह का ज़िन्दगीनामा कहा जा सकता है। ऊधम सिंह के बचपन से लेकर उनकी शहादत तक की कहानी यहाँ क़िस्सागोई शैली में बयान की गई है।
शहीद ऊधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर, 1899 को पंजाब के संगरूर जनपद के सुनाम गाँव में हुआ था। उनकी ज़िन्दगी काफ़ी जद्दोजहद-भरी रही। बचपन में ही अन्याय, अनीति और शोषण के प्रति उनके मन में तीव्र प्रतिकार-भाव था, जो आगे चलकर उन्हें देशभक्त क्रान्तिकारी बनाने में सहायक हुआ। सर्वधर्म-समभाव की वह ज़िन्दा मिसाल थे। उन्होंने अपना नाम ‘राम मुहम्मद सिंह आज़ाद’ रख लिया था। यही कारण रहा कि वह हर भारतीय के अपने थे—चाहे वो हिन्दू हो, मुसलमान हो या सिख। उन्हें 31 जुलाई, 1940 को फाँसी दे दी गई थी। उनकी शहादत के बाद हिन्दुओं ने अस्थि विसर्जन हरिद्वार में किया तो मुसलमानों ने फ़तेहगढ़ मस्जिद और सिखों ने करंत साहब में अपने-अपने रीति अनुसार उनकी अन्त्येष्टि सम्पन्न की थी।
भाषा इतनी सहज कि बस्स पढ़ते चले जाएँ उपन्यास वर्क़-दर-वर्क़। इतिहास को पठनीय कैसे बनाया जाए—यह उपन्यास इसका जीवन्त साक्ष्य है।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back, Paper Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2008 |
Edition Year | 2008, Ed. 1st |
Pages | 112p |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14.5 X 1.5 |