‘नोबेल पुरस्कार’ सम्मानित लेखिका नादिन गोर्डाइमर का उपन्यास ‘मेरे बेटे की कहानी’ दक्षिण अफ्रीका के नस्लवादी, रंगभेदवादी निरंकुश, अमानवीय शासन के निषेध-दर-निषेध की चक्की में पीसे जाते उन 87 प्रतिशत बहुसंख्य कालों, अश्वेतों तथा अन्यवर्णी जनों पर 13 प्रतिशत विशेष सुविधाभोगी गोरों के संवेदनहीन अत्याचार और शोषण-चक्र की स्मृतियाँ जगानेवाली कृति है। यहाँ से गुज़रना अँधेरी सुरंग की कष्टकर किन्तु अनिवार्य यात्रा की तरह है—एक ऐसी लम्बी, काली रात जिसकी कोई सुबह नहीं है। जैसे-जैसे हम पृष्ठ पलटते हैं एक भयानक बेचैनी जकड़ती चलती है, लेकिन हम उससे भाग नहीं सकते। हमारे अन्दर बैठा मनुष्य अपने नियतिचक्र का यह उद्वेलन अपनी हर शिरा में महसूस करना चाहता है—अगले संघर्ष की तैयारी के लिए, जो कहीं, कभी शुरू हो सकता है।

‘मेरे बेटे की कहानी’ एक ऐसे संसार में ले जाती है जहाँ मनुष्य होने के हर अधिकार को निषेधों और वर्जनाओं के बुलडोज़रों के नीचे कुचल दिया गया है। लेकिन इस दमनचक्र में पीसे जाने के बावजूद संघर्ष जीवित है।

उपन्यास में कथा कई स्तरों पर चलती है। पीड़ा भोगते अधिसंख्य जन, उन्हीं के बीच से उभरकर संघर्ष करनेवाले क्रान्तिबिन्दु किशोर और युवक, जो बड़ी बेरहमी से भून दिए जाते हैं। उनकी क़ब्रों पर श्रद्धांजलि अर्पित करने जुटी भीड़ पर फिर गोलियाँ बरसाई जाती हैं। हर रोज़, हर कहीं यही होता है। कथा का आरम्भ ऐसा आभास कराता है जैसे यह विवाहेतर अवैध काम सम्बन्धों की चटपटी कथा है। ‘दूसरी औरत’ के साथ अपने क्रान्तिकारी पिता को, जो हाल ही में जेल से छूटकर आया है, देखनेवाली किशोर बेटे की आँख इस सन्दर्भ को नए आयाम देती है। एक भयानक, विद्रूपित कंट्रास्ट की क्षणिक आश्वस्ति—और पाठक को लगता है वह क्षण-भर को खुलकर साँस ले सकता है। लेकिन अन्ततः यह किंचित् रोमानी स्थिति भी हमें बेमालूम तौर पर बहुत ऊँचाई से इस संघर्ष के भँवर में फेंक देती है, और हम अन्दर ही अन्दर उतरते चले जाते हैं। स्थितियों का यह प्रतिगामी विचलन एक नए शिल्प के तहत रचना के समग्र प्रभाव को और भी धारदार बना देता है।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2000
Edition Year 2000, Ed. 1st
Pages 228p
Translator Devendra kumar
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Nadine Gordimer

Author: Nadine Gordimer

नादिन गोर्डाइमर

जन्म : 13 नवम्बर, 1923 को दक्षिण अफ़्रीका में।

प्रमुख कृतियाँ : ‘फ्राइडे’स  फ़ुटप्रिंट’,  ‘लीविंग स्टोन’स कम्पेनियंस’, ‘नो प्लेस लाइक : सेलेक्टेड स्टोरीज़’, ‘ए सोल्जर’स इम्ब्रेस’, ‘सिक्स फ़िट ऑफ़ द कंट्री’, ‘समथिंग आउट देय’र, ‘जम्प’ तथा ‘व्हाई हैव नॉट यू रिटिन?’ (कहानी-संग्रह); ‘द लाइंग डेज़’, ‘ए वर्ल्ड ऑफ़ स्ट्रेंजर्स’, ‘ऑकेज़न फ़ॉर लविंग’, ‘ए गेस्ट ऑफ़ ऑनर’, ‘द कनवर्ज़ेशनिस्ट’, ‘द लेट बुर्ज़ुआ वर्ल्ड’, ‘वर्गर्स डॉटर’, ‘जुलाई’स पीपुल’, ‘ए स्पोर्ट ऑफ़ नेचर’ तथा ‘नन टू अकम्पनी’ (उपन्यास); ‘द इसेंशियल गेस्चर’ (निबन्ध-संग्रह)।

फ़ोटोग्राफ़र डेविड गोल्ड बलेट के साथ मिलकर उन्होंने दो पुस्तकें लिखीं : ‘ऑन द माइंस’ तथा ‘लाइफ़ टाइम्स : अंडर अपार्थिड’।

सम्मान : ‘नोबेल पुरस्कार’ के अलावा ‘इटली का मलापर्त सम्मान’, जर्मनी का ‘नेली साक्स सम्मान’, स्कॉटिश आर्ट काउंसिल की ‘नील गन्न फ़ेलोशिप’, ‘फ़्रेंच इंटरनेशनल अवार्ड’, रॉयल सोसायटी ऑफ़ लिटरेचर का ‘बेनसन मेडल’ आदि। उनके ‘द कनवर्ज़ेशनिस्ट उपन्यास को ‘बुकर प्राइज़’ से संयुक्त रूप में सम्मानित किया गया था। ‘मेरे बेटे की कहानी’ ‘सी.एन.ए. लिटरेरी अवार्ड’ से सम्मानित।

निधन : 13 जुलाई, 2014; जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ़्रीका।

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