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Manto : Ek Badnam Lekhak

Author: Vinod Bhatt
Translator: Ramesh Yagyik
Edition: 2024, Ed. 7th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Manto : Ek Badnam Lekhak

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उर्दू साहित्य में मंटो ही सबसे ज़्यादा बदनाम लेखक है। सबसे बड़ा गुनाह यह कि वह समय से पिचहत्तर साल पहले पैदा हुआ। साथ ही उसने समय से पहले मरकर हिसाब बराबर कर दिया। उस समय उसने जो कुछ लिखा, वह अगर आज लिखा होता तो उसकी एक भी कहानी पर अश्लीलता का मुक़दमा नहीं चला होता।

उसमें भरपूर आत्मविश्वास था। वो जो कुछ भी लिखता, जैसे सुप्रीम कोर्ट का आख़िरी फ़ैसला। कोई चुनौती दे तो वो सुना देता। उसकी कहानियों में वेश्याओं के दलाल पात्रों के वर्णन के बारे में किसी ने मंटो से कहा— ‘रेडियो के दलाल जैसे आप बनाते हैं, वैसे नहीं होते।’ मंटो ने तीक्ष्ण दृष्टि से देखते हुए कहा—‘वो दलाल खुशिया मैं हूँ।’...और यह जानकर हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार देवेन्द्र सत्यार्थी ने निःश्वास छोड़ते हुए कहा—‘काश मैं खुशिया होता...।’

मंटो की निजी पसन्द-नापसन्द अत्यन्त तीव्र होती थी। मृत व्यक्ति की बस तारीफ़ ही की जानी चाहिए, मंटो ऐसा नहीं मानता था। उसका एक विचार-प्रेरक कथन है—ऐसी दुनिया, ऐसे समाज पर मैं हज़ार-हज़ार लानत भेजता हूँ, जहाँ ऐसी प्रथा है कि मरने के बाद हर व्यक्ति का चरित्र और उसका व्यक्तित्व लांड्री में भेजा जाए, जहाँ से धुलकर, साफ़-सुथरा होकर वह बाहर आता है और उसे फ़रिश्तों की क़तार में खूँटी पर टाँग दिया जाता है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Translator Ramesh Yagyik
Editor Not Selected
Publication Year 1999
Edition Year 2024, Ed. 7th
Pages 144p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Vinod Bhatt

Author: Vinod Bhatt

विनोद भट्ट

जन्म : 14 जनवरी, 1938; अहमदाबाद (गुजरात)।

शिक्षा : बी.ए., एल.एल.बी.। जीविका के लिए वकालत और लेखन।

गुजरात के विशिष्ट व्यंग्यकार-रचनाकार। लेखन का आरम्भ 1955 से। तब से लघुकथा, निबन्ध, पत्र, संवाद आदि विभिन्न साहित्य-समारोहों, गोष्ठियों और कवि सम्मेलनों में बतौर संचालक एक अपरिहार्य व्यक्तित्व। पहली बहुचर्चित पुस्तक ‘विनोद नी नजरे’ (विनोद की दृष्टि में)। इसके बाद कई महत्त्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन। कुछ रचनाओं का विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद। कई पुस्तकें विभिन्न पुरस्कारों से पुरस्कृत-सम्मानित। कुछ पाठ्यक्रमों में भी सम्मिलित।

प्रमुख रचनाएँ : ‘विनोद नी नजरे’, ‘अने हने इतिहास’, ‘इदम् चतुर्थम्’, ‘नरो वा कुंजरो वा’, ‘आँख आडा कान’, ‘ग्रन्थ नी गरबड़’, ‘मंटो : एक बदनाम लेखक’ आदि।

निधन : 23 मई, 2018

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