Manse Ki Jaat

Author: Sujata Parmita
Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Manse Ki Jaat
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यह किताब खुद को रचने और अपनी बात पहुँचाने की सुजाता पारमिता की अन्तिम कोशिश और अन्तिम पुकार है। अनवरत संघर्ष में कुछ पलों के सर्जनात्मक संयोजन से ही यह किताब निर्मित हो पाई है जिसे खुद सुजाता ने तैयार किया। किताब में कुल पच्चीस आलेख शामिल हैं। किताब का पहला लेख ‘खैरलांजी-दलित-नरसंहार’ भारत में जाति आधारित नरसंहार का मानचित्र प्रस्तुत करता है। सवर्ण समाज के हित में कार्य करनेवाली सरकारों के औचित्य पर सवाल खड़ा करनेवाले इस आलेख की जद में न्याय व्यवस्था भी है। खैरलांजी हत्याकांड सन् 2006 में हुआ था। इस हत्याकांड में एक महार परिवार के सभी सदस्यों की बहुत बेदर्दी से हत्या कर दी गई थी। अब पीड़ित परिवार का अन्तिम परिजन भी न्याय की आशा में दुनिया छोड़ चुका है।

सुजाता फुले-अम्बेडकरी चिन्तन से निर्मित थीं। वह जानती थीं कि दूसरे संस्थानों की तरह देश की न्याय व्यावस्था भी जातिवादी सोच के नियन्त्रण में है, इस मामले में उससे न्याय नहीं हो पाएगा। और ऐसा ही हुआ।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Sujata Parmita

Author: Sujata Parmita

सुजाता पारमिता

जन्म : 20 मार्च 1955

निधन : 6 जून 2021

सुजाता पारमिता सुप्रसिद्ध लेखक दम्पत्ति देवेंद्र कुमार बैसंत्री और कौशल्या वैसंत्री की बेटी थीं। प्रारम्भ से ही सांस्कृतिक अभिरुचियों से सम्पन्न सुजाता भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे से 1980 बैच की स्नातक थीं। उन्होंने कई लघु फिल्मों और नाटकों में अभिनय किया। 1976 में उन्होंने दिल्ली में आह्वान थियेटर की स्थापना की और बकरी, देवदासी, मुलट्टो, तथा सुनो कॉमरेड आदि कई नाटकों का निर्देशन किया। आह्वान थियेटर ने पंडवानी और छऊ जैसे लोकनृत्यों का भी आयोजन किया। वे वारली और मधुबनी चित्रकला समेत अनेक ऐसी लोककलाओं पर विशेष रूप से कार्य कर रही थीं जो दलितों से जुड़ी थीं। वे एक चिन्तनशील लेखिका थीं। सुजाता ने लेखकीय दायित्वबोध फुले-अम्बेडकर की राजनीतिक - सांस्कृतिक  चेतना से हासिल किया। अपने दौर के सभी ज्वलन्त मुद्दों पर उन्होंने बेबाकी से कलम चलाई। वैचारिक मुद्दों पर आलेखों की उनकी पहली किताब है—‘मानसे की जात’

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