Sujata Parmita
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सुजाता पारमिता
जन्म : 20 मार्च 1955
निधन : 6 जून 2021
सुजाता पारमिता सुप्रसिद्ध लेखक दम्पत्ति देवेंद्र कुमार बैसंत्री और कौशल्या वैसंत्री की बेटी थीं। प्रारम्भ से ही सांस्कृतिक अभिरुचियों से सम्पन्न सुजाता भारतीय फिल्म एवं टेलीविजन संस्थान, पुणे से 1980 बैच की स्नातक थीं। उन्होंने कई लघु फिल्मों और नाटकों में अभिनय किया। 1976 में उन्होंने दिल्ली में आह्वान थियेटर की स्थापना की और बकरी, देवदासी, मुलट्टो, तथा सुनो कॉमरेड आदि कई नाटकों का निर्देशन किया। आह्वान थियेटर ने पंडवानी और छऊ जैसे लोकनृत्यों का भी आयोजन किया। वे वारली और मधुबनी चित्रकला समेत अनेक ऐसी लोककलाओं पर विशेष रूप से कार्य कर रही थीं जो दलितों से जुड़ी थीं। वे एक चिन्तनशील लेखिका थीं। सुजाता ने लेखकीय दायित्वबोध फुले-अम्बेडकर की राजनीतिक - सांस्कृतिक चेतना से हासिल किया। अपने दौर के सभी ज्वलन्त मुद्दों पर उन्होंने बेबाकी से कलम चलाई। वैचारिक मुद्दों पर आलेखों की उनकी पहली किताब है—‘मानसे की जात’