Maharshi Vitthal Ramji Shinde : Jeevan Aur Karya

Author: G.M. Pawar
Translator: Girish Kashid
Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Maharshi Vitthal Ramji Shinde : Jeevan Aur Karya
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मुझे अक्सर एक बात को लेकर खेद होता है। विट्ठलराव ने अछूतों के प्रश्नों को हल करने का कार्य किया। इसके लिए चरमसीमा तक त्याग कर उन्होंने और उनके परिवारवालों ने पूरे देश में जागृति उत्पन्न की। इस प्रश्न को राष्ट्रीय स्तर तक ले जाने का कष्ट भी उन्होंने ही उठाया, लेकिन आजकल अछूतों की उन्नति के मुद्दे का जब-जब उल्लेख किया जाता है तब-तब इसका श्रेय सिर्फ उन्हें ही दिया जाता है जिन्होंने इस सन्दर्भ में केवल वाचिक कार्य किया है। और भारतीय निराश्रित साह्यकारी मंडली और विट्ठल रामजी शिंदे को सुनियोजित तरीके से बहिष्कृत कर उनका भूल से भी नामोल्लेख नहीं किया जाता। ऐसे संघटित बहिष्कार से सचाई खो जाती है।

वामन सदाशिव सोहोनी

आत्मनिवेदन, मुम्बई, 1940

विट्ठल रामजी शिंदे मेरे चार गुरुओं में से एक थे। अपने जन्मदाता के बाद मैं उन्हें ही मानता हूँ। उनसे ही मैंने सार्वजनिक कार्य का पाठ सीखा। यद्यपि उम्र में वे मुझसे छोटे थे, इसके बावजूद राष्ट्रहित सम्बन्धी आन्दोलन में उनकी बड़ी गति थी। यह सर्वज्ञात है कि वे मुम्बई प्रान्त के अस्पृश्य वर्ग के सुधार-आन्दोलन के जनक थे। पंजाब और उत्तर प्रदेश छोड़कर पूरे भारत में इस प्रकार का कार्य आरम्भ करनेवाले वे पहले पुरुष और इस कार्य के अग्रदूत थे।

अमृतलाल वी. ठक्कर उर्फ ठक्करबप्पा

इंडियन सोशल रिफॉर्मर, 8 अप्रैल, 1944

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 520p
Translator Girish Kashid
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 24.5 X 19.5 X 3.5
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Author: G.M. Pawar

गो.मा. पवार

मराठी साहित्य के मान्य आलोचक गोपाल मारुतीराव पवार का जन्म 13 मई, 1932 को महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के पनगाँव में हुआ था।

उन्होंने पुणे विश्वविद्यालय से 1958 में स्नातकोत्तर की शिक्षा पूरी की और मराठवाड़ा विश्वविद्यालय, औरंगाबाद से 1976 में पी-एच.डी. की डिग्री हासिल की। लम्बे समय तक अध्यापन किया। दस साल तक साहित्य अकादेमी के मराठी भाषा के सलाहकार मंडल के समन्वयक रहे। महाराष्ट्र राज्य साहित्य संस्कृति मंडल और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग समेत कई महत्त्वपूर्ण संस्थानों से भी सम्बद्ध रहे। विवेकनिष्ठ जीवनदृष्टि’, ‘साहित्यमूल्य आणि अभिरुचि’, ‘विनोद : तत्त्व आणि स्वरूप’, ‘मराठी विनोद विविध आविष्कार रूपेआदि उनकी उल्लेखनीय पुस्तकें हैं। आठ आलोचना-पुस्तकों का उन्होंने सम्पादन भी किया। महर्षि शिंदे का व्यक्तित्व और कृतित्व गो.मा. पवार के अध्ययन का विशेष विषय रहा और इस पर उनकी स्वतंत्र और सम्पादित, लगभग दस पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।

मूलत: मराठी में लिखित महर्षी विट्ठल रामजी शिंदे : जीवन व कार्यपुस्तक के लिए उन्हें 2007 में साहित्य अकादेमी पुरस्कारप्रदान किया गया। सोलापुर विश्वविद्यालय ने उन्हें 2016 में आजीवन उपलब्धि पुरस्कारदेकर सम्मानित किया। इसके अलावा भी उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कार प्रदान किए गए।

16 अप्रैल, 2019 को सोलापुर में उनका निधन हो गया।

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