Facebook Pixel

Loktantra Mein Khoya Loktantra-Hard Cover

Special Price ₹675.75 Regular Price ₹795.00
15% Off
In stock
SKU
9788183614016
- +
Share:
Codicon

समसामयिक जीवन में विभिन्न परिदृश्यों के माध्यम से जो विडम्बनाएँ उभरती हैं उन पर सहज, स्वाभाविक ढंग से अपनी बेबाक और तीखी अभिव्यक्ति लेखक ने इस पुस्तक में दी है। इसके वैचारिक लेख मानव मन में हलचल पैदा करते हैं। उसकी अन्तर्वेदना को छूकर उसके मर्म से रूबरू कराते हैं। लेखक ने अपने लेखों में जीवन का कोई भी पक्ष नहीं छोड़ा है। यहाँ कश्मीरजैसी कोढ़ बनती पर निराकरण न होनेवाली समस्या है और ‘नंदी ग्राम’ में गरीबों पर जुल्म करने की त्रासदी का मार्मिक चित्रण है। आज़ाद देश के लोकतंत्रमें तंत्र कितना लोक के पास हैं? क्या सिर्फ़ वोट के लिए लोक और तंत्र जुड़ा रहता है? क्या यह लोकतंत्र सचमुच उस आम आदमी द्वारा संचालित है जो इस लोक में शामिल है। इन पर तीखे व्यंग्य भी इस पुस्तक में हैं।

श्री गौड़ ने भूमंडलीकरण के इस दौर में उन विषयों पर अपनी क़लम चलाई है जो भूमंडलीकरण की देन हैं या उसके कारक हैं। मंदी, निवेश, काले धन की समस्याओं पर अपने तीखे विचार उकेरे हैं। और ऐसे कारणों की जानकारी पाठकों को देने की कोशिश की है जो इनके पीछे अपनी एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

पुस्तक अपनी सहज भाषा के कारण पाठकों से अपना आत्मीय रिश्ता बनाने में भी सक्षम है। इसका हर लेख पाठक को जानकारी ही नहीं देता है बल्कि उन कारणों की पृष्ठभूमि से हमें अवगत कराता है जिनकी वजह से समस्याएँ उभरती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2010
Edition Year 2024, Ed. 2024
Pages 192p
Price ₹795.00
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Loktantra Mein Khoya Loktantra-Hard Cover
Your Rating
B. L. Gaur

Author: B. L. Gaur

बी.एल. गौड़

12 जून, 1936 को उत्तर प्रदेश के जनपद अलीगढ़ के गभाना क़स्‍बे के निकट एक छोटे से गाँव कौमला में आपका जन्म हुआ। आप अपनी कुशाग्र बुद्धि के बल पर एक प्रतिभाशाली छात्र के रूप में जाने जाते रहे। आपने अपनी उच्च शिक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से विज्ञान के स्नातक के रूप में प्राप्त करने के पश्चात् सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। उसके बाद इटालियन भाषा में डिप्लोमा प्राप्त किया, फिर ‘हिन्दी साहित्य रत्न’ की उपाधि प्राप्त की।

30 वर्ष तक आप रेल विभाग की निर्माण शाखा में कार्यरत रहे तथा अपने सेवाकाल के दौरान विन्ध्यांचल के बीहड़ जंगलों के बीच सर्वे के साथ-साथ अनेकानेक रोमांचित कर देनेवाले निर्माण कार्यों को अंजाम दिए। देश की विख्यात और अग्रणी कम्पनी गौड़सन्स इंडिया लि. जिसने भवन निर्माण के क्षेत्र में एक कीर्तिमान स्थापित किया है, आप उसके चेयरमैन हैं।

आपकी प्रमुख कृतियाँ हैं—‘थोड़ी-सी रोशनी’, ‘दूसरी काव्याकृति’, ‘आखिर कब तक’, ‘कब पानी में डूबा सूरज’, ‘एक दिन यूँ ही’, ‘जाती हुई धूप’ (कविता-संग्रह); ‘तंत्र के पंजों में लोकतंत्र’, ‘लोकतंत्र में खोया लोकतंत्र’, ‘यथार्थ से संवाद’ (मीडिया); ‘मीठी ईद’ (कहानी-संग्रह); ‘नींद से नाली तक’ (सिविल इंजीनियरिंग पर पहली बार हिन्‍दी में प्रकाशित पुस्‍तक) आदि। आप समाचार-पत्र ‘गौड़सन्स टाइम्स’ के सम्‍पादक हैं तथा गीत-काव्य को समर्पित संस्था ‘गीताभ’ के संरक्षक भी हैं।

आप पूरी तरह समाज सेवा से भी जुड़े हैं। अपने स्वर्गीय बेटे डॉ. राकेश गौड़ के नाम से स्थापित
‘डॉ. राकेश गौड़ चैरिटेबल ट्रस्ट’ के आप मुख्य ट्रस्टी हैं।

आप हिन्दी अकादमी दिल्ली सरकार की गवर्निंग बॉडी में सदस्य के रूप में मनोनीत किए गए और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद (भारत) के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट भी चुने जा चुके हैं।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top