Lakshagrih Evam Anya Natak

Author: Vratya Basu
Translator: Soma bandyopadhyay
Edition: 2016, Ed 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹135.00 Regular Price ₹150.00
10% Off
In stock
SKU
Lakshagrih Evam Anya Natak
- +
Share:

बांग्ला के प्रख्यात नाटककार और रंगकर्मी व्रात्य बसु से हिन्दी के पाठक अपरिचित नहीं हैं। वर्षों पहले ‘चतुष्कोण' शीर्षक से उनके चार नाटकों का संग्रह हिन्दी में अनूदित होकर आ चुका है, जिसे नाटक-प्रेमी पाठकों के साथ-साथ रंगकर्मियों ने भी बहुत उत्साह के साथ स्वीकार किया।

इस संग्रह में उनके तीन नाटक संकलित हैं—‘लाक्षागृह’, ‘संध्या की आरजू में भोर का सरसों फूल’ और ‘बम’ (बोमा)। व्रात्य बसु का नाटककार अपने समय को लक्षित होता है लेकिन जहाँ से वे अपने वर्तमान को देखते हैं, वह एक वृहत् दृष्टि-बिन्दु है। इस संग्रह में शामिल नाटक भी इसके अपवाद नहीं हैं। ‘लाक्षागृह’ में यदि वे महाभारत की एक घटना को आधार बनाकर मनुष्य की चिरन्तन प्रवृत्तियों की पड़ताल करते हैं तो, ‘संध्या की आरजू...’ के अपने पात्रों को आज के कॉरपोरेट तंत्र में स्थित करते हैं और इधर उभरी नई विडम्बनाओं पर प्रकाश डालते हैं। समय के इस बड़े अन्तराल के बीच ‘बम' की पृष्ठभूमि आज़़ादी के पहले का अविभाजित बंगाल है जिसमें हमें अरविन्द घोष मिलेंगे—ऋषि के रूप में नहीं, क्रन्तिकारी के रूप में...!

इसके अलावा इन नाटकों का सबसे बड़ा आकर्षण इनका भाषा-सौष्ठव और मंचीयता है जो इन्हें एक तरफ़ अभिनेय बनाती है तो दूसरी तरफ़ पठनीय भी। कथ्य स्वयं एक तत्त्व है जिसके लिए इन्हें पढ़ा ही जाना चाहिए।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2016
Edition Year 2016, Ed 1st
Pages 160p
Translator Soma bandyopadhyay
Editor Soma Bandyopadhyay
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Lakshagrih Evam Anya Natak
Your Rating
Vratya Basu

Author: Vratya Basu

व्रात्य बसु

साहित्य अकादेमी पुरस्कार, 2021 से पुरस्कृत बांग्ला लेखक व्रात्य बसु का जन्म 25 सितम्बर, 1969 को कोलकाता में हुआ। वे अध्यापक, नाट्य निर्देशक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक, नाटककार, उपन्यासकार, कवि, निबंधकार, अनुवादक, गीतकार और सम्पादक हैं। वे ‘व्रात्यजन’ नाट्य-आन्दोलन के कर्णधार भी हैं। उनके द्वारा निर्देशित फिल्में हैं रास्ता (2003), तीस्ता (2005), तारा (2010), डिक्शनरी (2021), हुब्बा (निर्माणाधीन)।
उन्हें ए.बी.पी. आनंद के ‘सेरा बंगाली सम्मान, 2019’, बांग्ला नाटक के क्षेत्र में मिलने वाले सर्वश्रेष्ठ सम्मान ‘दीनबंधु मित्र सम्मान’, बांग्ला साहित्य में योगदान के लिए ‘गजेंद्र कुमार मित्र-सुमथनाथ घोष सम्मान’ से सम्मानित किया गया है। डिक्शनरी फिल्म के लिए उन्हें ‘गौतम बुद्ध’ सम्मान प्राप्त हुआ है।
वर्तमान में वे पश्चिम बंगाल सरकार में मंत्री हैं।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top