Lachhami Jaggar

Edition: 2018, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Lachhami Jaggar
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‘लछमी जगार’ की कथा की भाव-भूमि का सम्बन्ध धान उत्पादन-प्रक्रिया के विस्तारित प्रसंग से है, अत: इसका गठन उसी के अनुरूप है। पाठक इस तथ्य की स्वत: पड़ताल के लिए आमंत्रित हैं। निम्न प्रतीकों की जानकारी जो हल्बी भाषी समुदाय के लिए तो स्पष्ट है, किन्तु उनसे इतर पाठकों के लिए इस कथा के सामान्य परिदृश्य को समझने हेतु आवश्यक जान पड़ती है : मेंग का अर्थ वर्षा है तो माहालखी हैं धान और इक्कीस रानियाँ हैं विभिन्न दलहनी-तिलहनी और अन्य मोटे अनाज। इसी तरह गोपपुर है खेत। इस कथा के नायक नरायन राजा की तुलना सूर्य से की जा सकती है जबकि माहादेव (शिव) को बीज-पुरुष के रूप में देखना चाहिए।

यहाँ यह जानना भी आवश्यक होगा कि दण्डकारण्य का पठार धान उत्पादक पूर्व एवं गौण अन्न उत्पादक पश्चिम की सीमा पर स्थित है। गौण अन्न का उत्पादन पहाड़ी भूमि पर तो किया जा सकता है, किन्तु धान के उत्पादन के लिए सम एवं सिंचित भू-भाग का होना आवश्यक है। इसलिए धान उत्पादन ने अपने-आपको मुख्य भूमि में स्थापित किया, जबकि गौण अन्न गाँव की सीमा पर चले गए। नरायन राजा का विवाह पहले गौण खाद्यान्नों (इक्कीस रानियों) के साथ हुआ और उसके बाद धान (माहालखी) के साथ। मिथकीय दृष्टि से यह कथा इस क्षेत्र का जनपदीय इतिहास सिद्ध होती है। और जैसे ही हम कथा के इस बिन्दु को आत्मसात् कर लेते हैं, वैसे ही इस कथा में आए पत्नी-पीड़क प्रसंगों और धान की मिंजाई के प्रसंग के बीच के अन्तर्सम्बन्धों को भी पकड़ने में सफल हो सकते हैं।

इस महाकाव्य का आयोजन बस्तर की महिलाओं के लिए एक पवित्र अनुष्ठान है। वस्तुत: ‘लछमी जगार’ चर्चा की नहीं अपितु महसूस करने की चीज़ है। यह महसूसना इसके भीतर के विभिन्न संस्कारों और उनसे जुड़े विश्वास, जो विभिन्न संस्कारों में सन्निहित भिन्न-भिन्न भूमिकाओं में देखे जा सकते हैं, के साथ एकात्म होकर सहभागी होने में है। कथा में वर्णित कुछ एक घटनाओं का सजीव चित्रण उनकी अभिनय प्रस्तुति के साथ किया जाता है, जिनकी मुख्य भूमिकाओं में स्वयं आयोजक ही होते हैं। इन अनुष्ठानों/संस्कारों को मुख्य एवं गौण, दो श्रेणियों में बाँटकर देखा जा सकता है। भिमा-विवाह (अध्याय 16), आम-विवाह (अध्याय 21) एवं माहालखी का विवाह। (अध्याय 32) इस महाकाव्य की प्रमुख घटनाएँ हैं जो विपुल जन-समुदाय को आकर्षित करती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2018
Edition Year 2018, Ed. 1st
Pages 992p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 15 X 4.5
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Harihar Vaishnav

Author: Harihar Vaishnav

हरिहर वैष्‍णव

19 जनवरी, 1955 को दन्तेवाड़ा (बस्तर-छ.ग.) में जन्म। सम्पूर्ण लेखन-कर्म बस्तर पर केन्द्रित। अब तक कुल 24 पुस्तकें प्रकाशित। कुछ प्रकाशनाधीन। हिन्दी के साथ-साथ बस्तर की भाषाओं—हल्बी, भतरी, बस्तरी और छत्तीसगढ़ी में भी समान लेखन-प्रकाशन। अनेक पुरस्कार/सम्मान प्राप्त। उल्लेखनीय सम्मानों में छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य परिषद् का ‘उमेश शर्मा साहित्य सम्मान’, दुष्यन्त कुमार स्मारक संग्रहालय का ‘आंचलिक साहित्यकार सम्मान’,

छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण ‘पं. सुन्दरलाल शर्मा साहित्य सम्मान’, ‘वेरियर एल्विन प्रतिष्ठा अलंकरण’, साहित्य अकादेमी का ‘भाषा सम्मान’ֹ।

सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत 1991 में ऑस्ट्रेलिया, 2000 में स्विट्ज़रलैंड और 2002 में इटली प्रवास। बस्तर की भाषा हल्बी में 5 एनीमेशन फ़िल्मों का स्कॉटलैंड की संस्था 'वेस्ट हाईलैंड एनीमेशन' कम्पनी के साथ मिलकर निर्माण।

निधन : 23 सितम्बर, 2021

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