Kya Karen?

Translator: Virendra Tripathi
Edition: 2007, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
10% Off
Out of stock
SKU
Kya Karen?

कोई एक कथाकृति किसी समाज को किस हद तक प्रभावित कर सकती है और इतिहास-निर्माताओं की एक पूरी पीढ़ी को शिक्षित–दीक्षित करने में कितनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, इसे जानने के लिए उन्नीसवीं शताब्दी के आख़िरी चार दशकों (और बीसवीं शताब्दी के पहले दशक) के दौरान रूसी समाज, और विशेषकर युवा समुदाय पर, ‘क्या करें?’ के प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है।

यह उपन्यास अपने समय के प्रगतिशील युवाओं के सामने व्यावहारिक कार्रवाई की एक ठोस योजना प्रस्तुत करता है। ‘क्या करें?’ उपन्यास में एकदम नए क़िस्म के लोगों के जीवन की कहानी प्रस्तुत की गई है, जिनके सर्वथा नई क़िस्म की नैतिक और सामाजिक विचार थे, नए क़िस्म का पारिवारिक जीवन था। वे अपने श्रम के सहारे जीवनयापन करनेवाले लोग थे जो अपने व्यावहारिक जीवन के उदाहरण से लोगों को समाजवाद के विचारों का क़ायल करते थे। 1860 के दशक के रूस में प्रस्तुत चरित्र निस्सन्देह भविष्य के नागरिक थे।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 440p
Translator Virendra Tripathi
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Kya Karen?
Your Rating
Nikolai Chernyshevsky

Author: Nikolai Chernyshevsky

निकोलाई चेर्नीशेव्स्की

जन्म : 24 जुलाई, 1828

चेर्नीशेव्स्की एक ऐसे महान विचारक-लेखक थे जिनकी रचनाओं ने कई इतिहास-निर्माताओं को प्रभावित किया था। केवल मार्क्स, एंगेल्स और प्लेखानोव ही नहीं, लेनिन भी चेर्नीशेव्स्की से अत्यधिक प्रभावित थे। लेनिन के अलावा उस वक़्त के अन्‍य रूसी क्रान्तिकारियों पर भी चेर्नीशेव्स्की का गहन प्रभाव था।

निधन : 29 अक्टूबर, 1889

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top