Kissa Kursi Ka

Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹162.50 Regular Price ₹250.00
35% Off
In stock
SKU
Kissa Kursi Ka
- +
Share:

किस्सा कुर्सी का हरिशंकर परसाई के साक्षात्कारों का संकलन है। इन साक्षात्कारों में वे न सिर्फ़ देश, दुनिया और समाज के बारे में अपने विचारों को सामने रखते हैं, बल्क‌ि अपनी रचना-प्रक्रिया, विषयों के चुनाव और व्यंग्य-लेखन उनके लिए क्या अर्थ रखता है, इस पर भी खुलकर बात करते हैं।

एक प्रश्न के जवाब में वे कहते हैं कि मेरे लेखन में तिरस्कार नहीं है, बल्क‌ि समाज और जीवन की आलोचना और समीक्षा है; कि मैंने यही बताने की चेष्टा की है कि कहाँ, क्या ग़लत है। वे स्पष्ट करते हैं कि उनका व्यंग्य समाज का तिरस्कार नहीं करता, उसकी क्षमताओं में विश्वास रखते हुए उसको बदलना चाहता है। हिन्दी व्यंग्य में रचनाशीलता की अपार संभावनाओं को रेखांकित करते हुए वे कहते हैं कि व्यंग्य एक स्पिरिट है जो किसी भी विधा में हो सकती है।

इन वार्ताओं में साक्षात्क‌ारकर्ताओं ने उनके जीवन को भी खँगालने की कोशिश की है, परिणामस्वरूप हमें लेखक परसाई के साथ-साथ व्यक्ति परसाई को भी जानने के लिए पर्याप्त सूत्र मिलते हैं। इसके अलावा हम उस वातावरण को भी जान पाते हैं जिसमें वे लिख रहे थे।

इस पुस्तक में संकलित मुक्तिबोध पर केन्द्रित उनकी बातचीत विशेषतौर पर पठनीय है, जिसमें उन्होंने मुक्तिबोध के व्यक्तिगत, पारिवारिक और वैचारिक व्यक्तित्व पर बातें की हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 1
Write Your Own Review
You're reviewing:Kissa Kursi Ka
Your Rating

Author: Prakash Chandra Darbari

प्रकाश चन्द्र

प्रकाश चन्द्र दरबारी का जन्म प्रयागराज में 8 अप्रैल 1940 को हुआ था। आपके पिता स्वर्गीय डॉक्टर राजेंद्र नारायण दरबारी अपने समय के विख्यात चिकित्सक थे। आपके पिता एवं माता स्वर्गीय श्रीमती विद्यावती दरबारी दोनों ही धार्मिक एवं समाजसेवी व्यक्ति थे। बाल्यकाल से ही इन दोनों का प्रभाव श्री प्रकाश चन्द्र के जीवन पर पड़ा है। हिन्दू समाज, हिन्दू धर्म एवं हिन्दू संस्कारों के प्रति बचपन से ही आपका अनुराग रहा है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के पश्चात आप परिवारिक दवा के व्यवसाय से जुड़ गये। बी.पी.सी.एल. एवं टी.एस.एल. के लिए फैब्रिकेटेड उपकरण बनाने का कार्य भी वर्षों तक किया।
आपकी अभिरुचि सामाजिक कार्यों के प्रति आरम्भ से रही है। लायंस क्लब इंटरनेशनल और भारत विकास परिषद के सक्रिय सदस्य कई वर्षों तक रहे। विभिन्न पद पर रहकर सेवा प्रकल्प में किये गये कार्यों के लिए कई बार सम्मानित किया गया। चिन्मय मिशन द्वारा भी वरिष्ठ नागरिक दिवस पर आपका अभिनंदन किया गया। श्री प्रकाश चन्द्र जी अनेकानेक संस्थाओं से जुड़े रहे हैं। प्रयागराज में स्थित विद्यावती दरबारी बालिका इंटर कॉलेज के प्रबंधक, बाल सेवा समिति के अध्यक्ष, लूकरगंज कल्चरल सोसाइटी के सचिव डॉ. राजेंद्र नारायण दरबारी चैरिटेबल सोसायटी के सह-सचिव हैं। इसके अतिरिक्त आप शिशुशिक्षा सदन इंटर कॉलेज प्रयागराज, लूकरगंज संगीत विद्यालय प्रयागराज, सक्सेना सभा जहर सहाय इंटरकॉलेज तथा हर सहाय डिग्री कॉलेज कानपुर के ट्रस्टी सदस्य भी हैं। वर्षों के अनुभव धार्मिक पुस्तकों के अध्ययन एवं उसमें अंतर्निहित नीति कथाओं के अध्ययन से प्रेरणा ली, गंभीर विषयों को साधारण बोलचाल की भाषा में लिखने का प्रयास किया।'सुख की डगर' उनकी अद्यतन पुस्तक है।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top